वो भूखे पेट, फटे पुराने कपड़ों में अपने सपनों का पीछा करता रहा। मैदान ही उसका ओढ़ना-बिछौना सब था। 11 साल की उम्र में छोटे से शहर से मुंबई नगरी पहुंचे बालक ने 17 का होते-होते, मुसीबतों को ऐसी पटखनी दी कि आज वो तमाम लोगों के लिए खुद प्रेरणा बन गया है। पढ़िए उसकी कहानी...