इसके बाद इस मामले को न्यायाधीश कीनन द्वारा मई 1986 को भारत में ट्रांसफर कर दिया गया। वहीं यूसीसी को अंतरिम राहत भुगतान के रूप में 5 मिलियन डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया। इसके साथ ही भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसके लिए फैसला दिया गया। जिसके तहत इस त्रासदी के लोगों के लिए भुगतान राशि तय की गई। ये भुगतान राशि 470 मिलियन थी। जो प्रति पीड़ित व्यक्ति के हिस्से में केवल दस हजार तक आ रही थी।