अगर आप घर की दरिद्रता को नाश करना चाहते हैं और अपने दिक्कतों को दूर करना चाहते हैं तो आपके पास होली के मौके पर एक मौका है। क्योंकि होलिका दहन के दिन आप अपनी समस्याओं का दहन कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे आप अपनी राशियों के अनुसार ही होलिका में जरूरी सामाग्री की आहुति अर्पित करें। इस बार रंगों के महापर्व होली में होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा पर नौ मार्च को पूर्वफाल्गुन नक्षत्र में है। सोमवार को प्रदोष काल से लेकर निशामुख रात्रि 11 बजकर 26 मिनट होलिका है। ज्योतिष के जानकार आचार्य जिज्ञासु जी के द्वारा आप होलिका में आहुति देकर बीमारियों, दरिद्रता और शत्रुओं का नाश कर सकते हैं।
आचार्य जिज्ञासु का कहना है कि होलिका की भस्म पवित्र होती है। होली के दिन संध्या बेला में इसका टीका लगाने से सुख-समृद्धि और आयु में वृद्धि होती है। वहीं अगर आप कई परेशान हैं तो होलिका में आहुति जरूर दें। ऐसा कर आप अपने कष्टों को कम कर सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ इस दिन नई फसल और खुशहाली की कामना भी की जाती है। कहा जाता है कि होलिका की आग में सेंक कर लाए गए धान्यों को खाने से काया हमेशा निरोगी बनी रही थी है और घर में कोई भी स्थिति हो लेकिन माता अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है।
आचार्य जिज्ञासु के मुताबिक नौ मार्च को होलिका दहन का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल से मध्यरात्रि तक है। होलिका दहन के दिन सुबह छह बजकर आठ मिनट से लेकर दोपहर 12:32 बजे तक भद्रा है इसीलिए होलिका दहन भद्रा के बाद किया जाएगा। शास्त्रों के मुताबिक भद्रा को विघ्नकारक माना गया है और भद्रा में होलिका दहन करने से हानि और अशुभ फल मिलते हैं।