पुलवामा हमले में 40 से ज्यादा जवानों की शहादत के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार तो है, लेकिन अकेले नहीं। क्योंकि अब मामला सिर्फ पड़ोस की जंग तक ही सीमित नहीं रहा।
कश्मीर में शांति के लिए सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं बल्कि इससे आगे की भी कड़ियों को तोड़ने की सख्त जरुरत है। क्योंकि पुलवामा के आत्मघाती हमले की प्रकृति ने यह स्पष्ट कर दिया कि कश्मीरी आतंकवाद अब अलगाववादी आंदोलन से आगे बढ़कर मिडिल ईस्ट के विशुद्ध इस्लामी आतंकवाद का रुप धारण कर रहा है। जो कि इतना बर्बर है कि खुद पाकिस्तान जैसा आतंकवादी देश और उसकी बदनाम आईएसआई तक इससे घबराती है।
आतंकवाद के इस खूंखार स्वरुप को तुरंत नष्ट करना बेहद आवश्यक है। लेकिन इससे पहले इसके लक्षणों को अच्छी तरह समझना होगा।