बाड़मेर
(Search results - 19)NewsSep 27, 2018, 3:57 PM IST
NewsJul 28, 2018, 5:27 PM IST
मौत के बाद भी साथ नहीं छोड़ रही जातियां
क्या राजा, रंक और फकीर। मौत के बाद तो माटी में मिल जाना है, फना हो जाना है। लेकिन श्मशान का यथार्थ कहता है कि मौत ने भी खुद को ऊंच-नीच के दर्जो में बांट लिया है। भारतीय समाज अनेक जाति-धर्मों में बंटा है, लेकिन यह बंटवारा श्मशान घाट में भी दिखाई देता है। राजस्थान में रियासत के दौर में अलग-अलग जातियों के श्मशान घाट का चलन शुरू हुआ। यह आज भी जारी है। बाड़मेर जैसे छोटे से शहर में लगभग चार दर्जन श्मशान घाट हैं, हर जाति का अपना अंतिम दाह-संस्कार स्थल हैं। यहां तक कि उपजातियों ने भी अपने मोक्ष धाम बना लिए हैं। कहते हैं, दिवंगत व्यक्ति के शरीर में कोई जाति नहीं होती। लेकिन श्मशान में भेदभाव जारी हैं।
NewsJul 28, 2018, 10:55 AM IST
बाड़मेर की महिला की पाकिस्तान में मौत, परिजन परेशान- मिट्टी कैसे पहुंचे हिंदुस्तान
अगासड़ी गांव की रेशमा (65) की दो बहनें पाकिस्तान में है। वह 30 जून को बेटे सायब खां के साथ पाकिस्तान गई थी। बुखार के चलते रेशमा की 25 जुलाई को पाकिस्तान में मौत हो गई।
NationJul 24, 2018, 11:23 PM IST
मुसलमान लड़की से प्यार करने पर दलित युवक की मॉब लिंचिंग
लिंचिंग इन दिनों सबसे ज्यादा सुनाई देने वाला शब्द बन गया है। इसे सुनते ही समझ में आ जाता है कि पीड़ित तो मुसलमान होगा ही। तुरंत लिंचिंग शब्द से जुड़े हैशटैग चलने लगते हैं और भगवा ब्रिग्रेड की लानत मलानत शुरु कर दी जाती है। वामी मीडिया के जरिए उपदेश और फिर धमकियों का दौर लगातार चलता रहता है। लेकिन अगर लिंचिंग का शिकार कोई बहुसंख्यक हुआ, तो उसी वामी सोशल मीडिया विंग को सांप सूंघ जाता है