सिंधिया
(Search results - 73)NewsJul 10, 2020, 1:48 PM IST
राजस्थान में किसी नेता को 'सिंधिया' नहीं बनने देंगे गहलोत
असल में मध्य प्रदेश से सत्ता जाने के बाद कांग्रेस राजस्थान में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। लिहाजा वह नाराज नेताओं की नाराजगी को जल्द शांत करना चाहती है। हालांकि कुछ नेताओं ने पिछले महीने हुए राज्यसभा चुनाव में अपनी नाराजगी दिखाई थी। लिहाजा अब गहलोत विभिन्न गुटों के नाराज नेताओं को कैबिनेट में शामिल कर उनका नाराजगी दूर करना चाहती है।
NewsJul 2, 2020, 1:50 PM IST
शिवराज के राज में सिंधिया बने 'महाराज'
असल में राज्य में होने वाले विधानसभा उपचुनाव की झलक कैबिनेट विस्तार में देखने को मिली है। इसमें सबसे ज्यादा फायदा ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों को मिला है। जबकि पार्टी ने पुराने नेताओं को कैबिनेट से दूर रखकर सिंधिया समर्थकों को शामिल किया है।
NewsJun 28, 2020, 2:30 PM IST
मध्य प्रदेश में अगले हफ्ते हो सकता है शिवराज सरकार का कैबिनेट विस्तार, विधानसभा उपचुनाव पर नजर
बताया जा रहा है कि कैबिनेट में राज्य भाजपा के सभी धड़ों से नेताओं को जगह मिल सकती है। वहीं हाल ही में कांग्रेस से आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया जाएगा। ताकि कांग्रेस से आए नेताओं को खुश किया जा सके और उपचुनाव में पार्टी को इसका फायदा मिले।
NewsJun 20, 2020, 9:58 AM IST
'महाराज' की जीत के बाद 'राज्याभिषेक' की तैयारी
सिंधिया मध्य प्रदेश की राजनीति के दिग्गज नेताओं में शुमार हो गए हैं। राज्य में कांग्रेस की सत्ता जाने का पूरा श्रेय सिंधिया को ही जाता है। वहीं राज्य में 2018 में हुए चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की सत्ता में वापसी में अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन कांग्रेस में तवज्जो न मिलने के कारण आखिरकार उन्हें कांग्रेस से अलविदा कहना पड़ा था।
NewsJun 10, 2020, 12:55 PM IST
मध्य प्रदेश में 'महाराज 'बनेंगे विधानसभा उपचुनाव के केन्द्र
दो महीने पहले ही सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर और बाद में उनके 22 समर्थक विधायकों को इस्तीफा देकर राज्य की सियासत को बदल दिया था। राज्य में कांग्रेस की सरकार सत्ता से बेदखल हो गई और कमलनाथ को सीएम के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। लिहाजा अब कमलनाथ और कांग्रेस सिंधिया से इससे बदला लेना चाहते हैं।
NewsJun 6, 2020, 12:58 PM IST
सिंधिया का खेल बिगाड़ने के लिए 'विभीषण' तलाश रही है कांग्रेस
राज्यसभा की तीन सीटों पर होने चुनाव में भाजपा आसानी से दो सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। जबकि कांग्रेस एक सीट पर जीत हासिल करेगी। वहीं कांग्रेस ने मैदान में दो प्रत्याशियों को उतारा है। हालांकि संख्या बल के आधार पर कांग्रेस एक ही सीट जीत सकती। वहीं फिलहाल कांग्रेस भाजपा के प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह में मुश्किलें पैदा करने की तैयारी में है।
NewsMay 28, 2020, 1:42 PM IST
सिंधिया की राह पर चली बागी अदिति, गांधी परिवार के गढ़ में ढह सकता है कांग्रेस का आखिरी किला
रायबरेली को गांधी परिवार का गढ़ कहा जाता है। लेकिन यहां से कांग्रेस की एकमात्र विधायक अदिति सिंह भी अब जल्द ही कांग्रेस को अलविदा कह सकती हैं। फिलहाल अदिति सिंह ने कांग्रेस के पूर्व बागी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का अनुसरण करते हैं अपने ट्वविटर एकाउंट से कांग्रेस नाम और लोगो को हटा दिया है। जबकि सिंधिया ने कांग्रेस को छोड़ने से पहले इस तरह से कांग्रेस नाम और लोगो को हटाया था।
NewsMay 25, 2020, 8:34 AM IST
जानें क्यों कांग्रेस सिंधिया को बता रही है 'गायब'
असल में राज्य में कांग्रेस की सरकार को गिराने में सिंधिया की अहम भूमिका रही और सिंधिया समर्थक 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया। जिसके बाद राज्य की कमलनाथ सरकार गिर गई। फिलहाल कांग्रेस सिंधिया के खिलाफ मोर्चा जारी रखना चाहती है।
NewsMay 21, 2020, 12:39 PM IST
सिंधिया के गढ़ में फिर से पार्टी को खड़ा कर रही है कांग्रेस
राज्य की 24 सीटों के लिए उपचुनाव होने हैं। क्योंकि पिछले दिनों कांग्रेस से इस्तीफा देकर 22 विधायक भाजपा में चल गए थे और इसके कारण राज्य की तत्कालीन कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी। ये सभी 22 विधायक कभी कांग्रेस के महासचिव रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी थे और भाजपा में शामिल होने के बाद दो नेताओं को मंत्री भी बनाया गया है।
NewsMay 9, 2020, 12:39 PM IST
क्यों सिंघवी भाजपा में शामिल होने को लेकर दे रहे हैं सफाई
असल में पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया में सिंघवी को लेकर चर्चा हो रही है। सिंघवी कांग्रेस के बड़े नेता है और कानून मंत्री भी रह चुके हैं। लेकिन पार्टी से नाराज चल रहे हैं। अगर देखे तो कांग्रेस में वरिष्ठ और कनिष्ठ की लड़ाई तेज चल रही है और राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले नेता पार्टी में साइडलाइन हैं। वहीं वरिष्ठ नेताओं को तवज्जो दी जा रही है।
NewsApr 30, 2020, 1:12 PM IST
मध्य प्रदेश में कैबिनेट मंत्री ने सिंधिया से जताई निष्ठा, कार्यालय में लगाई 'महाराज' की तस्वीर
तुलसीराम सिलावत को 21 अप्रैल को शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था लेकिन वह बुधवार को पहली बार अपने कार्यालय पहुंचे। जहां उन्होंने महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लगाया। लेकिन इनके साथ ही सिलावत ने सिधिया की तस्वीर को भी दिवार पर सुशोभित किया है। पूर्व कांग्रेस नेता सिलावत को सिंधिया का वफादार माना जाता है।
NewsApr 21, 2020, 2:37 PM IST
शिवराज सिंह ने किया पहला कैबिनेट विस्तार, पांच मंत्रियों ने ली शपथ
शिवराज सिंह चौहान के कैबिनेट में पांच लोगों को जगह दी गई है। हालांकि सिंधिया की तरफ से पांच नेताओं को जगह देने की मांग की जा रही थी। लेकिन भाजपा ने उनके दो ही सहयोगियों को जगह दी है। गौरतलब है कि कांग्रेस से छह विधायकों ने इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा था और इसमें छह मंत्री थे।
NewsApr 18, 2020, 2:35 PM IST
शिवराज के कैबिनेट विस्तार में महाराज का पेंच
ऐसी चर्चा है राज्य में शिवराज सिंह की अगुवाई वाली भाजपा सरकार का रविवार को कैबिनेट विस्तार हो सकता है। अभी तक शिवराज सिंह ने ही मुख्यमंत्री की शपथ ली है और वह सरकार चला रहे हैं। जिसको लेकर कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि वह सिंधिया समर्थकों को जगह नहीं दे पा रही है। वहीं राज्य में कोरोना संकट को देखते हुए शिवराज भी कैबिनेट विस्तार चाहते हैं।
ViewsMar 27, 2020, 11:29 AM IST
एमपी में खत्म होने की कगार पर है कांग्रेस, दोहरा रहा है इतिहास
सिंधिया परिवार हमेशा से ही भारतीय जनता पार्टी के पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ का प्रमुख संरक्षक रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ भी उनका बहुत अच्छा संबंध रहा है। जिवाजीराव सिंधिया ज्योतिरादित्य सिंधिया के दादा थे और वह अंतिम मराठा राजा थे और इसके साथ ही उनके जवाहर लाल नेहरू के साथ अच्छे रिश्ते थे। 1961 में जीवाजी राव और 1964 में नेहरू की मौत के बाद राजमाता विजया राजे सिंधिया ने भ्रष्ट वंशवादी पार्टी में वापस रहने का कोई कारण नहीं देखा।
NewsMar 25, 2020, 12:35 PM IST
खौफ में हैं नौकरशाह: कमलनाथ के करीबियों पर गिरेगी गाज तो सिंधिया के करीबियों को मिलेंगे अहम पद
हालांकि राज्य में नई सरकार बनने के बाद से ही नौकरशाही को इसका अंदाजा लग गया था कि राज्य की नौकरशाही में बदलाव होगा और पिछले 15 महीनों से साइडलाइन किए अफसर मुख्यधारा में वापस आएंगे और कमलनाथ के करीबी अफसरों को साइड लाइन किया जाएगा।