Independence Day 2024: 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर पर ध्वजारोहण करते हैं और 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रपति राजपथ पर झंडा फहराते हैं। क्या आप जानते हैं कि ध्वजारोहरण और झंडा फहराने में क्या अंतर है? यदि आप इनके बीच का फर्क नहीं जानते हैं तो जानिए बहुत ही सरल भाषा में।

ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या अंतर?

आसान शब्दो में समझिए तो ध्वजारोहण का मतलब झंडे को पोल के नीचे से ऊपर की ओर खींचना होता है, जबकि खंभे पर पहले से बंधे हुए झंडे को डोरी खींचकर खोला यानी फहराया जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों होता है? दरअसल, 15 अगस्त 1947 को भारत को ब्रिटिश सरकार से आजादी मिली थी। उस दिन ब्रिटिश का झंडा नीचे उतारकर, उसकी जगह भारत का झंडा ऊपर चढ़ाया गया था। मतलब, राष्ट्रीय ध्वज को खंभे के नीचे से ऊपर की तरफ ले जाया गया था। इस पूरी प्रक्रिया को ध्वजारोहण कहते हैं, जबकि गणतंत्र ​दिवस के मौके पर तिरंगा पहले से ही खंभे के ऊपरी हिस्से में बंधा होता है, जिसके अंदर फूल की पंखुड़ियां रखी होती हैं। बस, डोरी खींचते ही झंडा खुलकर फहरने लगता है और पुष्प वर्षा भी होती है। इसे प्रक्रिया को झंडा फहराना कहते हैं। 

स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने के संदेश क्या?

15 अगस्त 1947 वह दिन है, जब भारतीयों ने पहली बार स्वतंत्र भारत में सांस ली थी। यह दिन देश के लिए गर्व और उल्लास का दिन था, जो न केवल ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ जीत का प्रतीक बना बल्कि भारत के भविष्य की दिशा भी तय की। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त को लाल किले से पहली बार ध्वजारोहण किया। स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह हमें यह याद दिलाता है कि हमारे पूर्वजों ने कितनी कुर्बानियां दीं ताकि हम आजाद रह सकें। गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने का संदेश है कि भारत अब एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य है। यह दिन हमें संविधान की स्थापना और उसे लागू करने की याद दिलाता है।

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