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कश्मीर के लिए लड़े सरदार पटेल, महाराजा हरि सिंह को समझाने के लिए संघ के गोलवलकर को भेजा
इस वीडियो में लेखक हिंदोल सेनगुप्ता ने उस दुष्प्रचार को जमींदोज किया है जिसमें यह साबित करने का प्रयास किया गया कि पटेल कश्मीर को छोड़ना चाहते थे। पटेल ने जहां उन्होंने हैदराबाद पर चढ़ाई का फैसला लिया वहीं कश्मीर घाटी में घुसपैठ के बाद सेना को हालात संभालने के लिए रवाना किया। सेनगुप्ता ने अपनी आने वाली किताब 'द मैन हू चेंज इंडिया' और इस वीडियो शृंखला के जरिये ऐतिहासिक दुष्प्रचार को चुनौती दी है।
हिंदोल सेनगुप्ता के अनुसार, अक्सर लोग कहते हैं कि सरदार पटेल कश्मीर को छोड़ना चाहते थे। यह पूरी तरह गलत है। दरअसल, हुआ ये कि सरदार पटेल कश्मीर के बदले हैदराबाद पर बात करना चाहते थे। काफी समय तक उनका यही मानना था कि जिस भारत का एकीकरण वह करना चाहते हैं, उसमें हैदराबाद ज्यादा बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है। हैदराबाद लगभग भारत के बीचोंबीच में था, ऐसे में अगर यह अशांत रहता तो भारत के लिए ज्यादा दिक्कतें हो सकती थीं। इसीलिए वह पाकिस्तान से कश्मीर के बदले में हैदराबाद पर बात करना चाहते थे। लेकिन जूनागढ़ की समस्या खड़ी होते ही स्थितियां बदल गईं, क्योंकि जूनागढ़ रियासत के शासक मुस्लिम थे, लेकिन उनकी ज्यादातर आबादी हिंदू थी। इसके बाद जब जिन्ना से बात हुई तो कहा गया कि जूनागढ़ के शासक पाकिस्तान के साथ जाना चाहते हैं। यहां सरदार पटेल अड़ गए, उन्होंने साफ कह दिया कि भारत कश्मीर की एक इंच भूमि भी पाकिस्तान को नहीं देगा। इसके बाद उन्होंने इस बात के प्रयास तेज कर दिये कि कश्मीर भारत का हिस्सा बने। वह सरदार पटेल ही थे, जिन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के गोलवलकर को महाराजा हरि सिंह से मिलने भेजा, ताकि उन्हें इस बात के लिए राजी किया जा सके कि कश्मीर भारत के साथ ही रहे। इसलिए यह कहना गलत है कि सरदार पटेल चाहते कि कश्मीर पाकिस्तान को दे दिया जाए।