सदी के आखिरी तक नहीं बचेगा थार रेगिस्तान, रिचर्स में दावा
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थार रेगिस्तान को लेकर बड़ा दावा
जलवायु परिवर्तन से बारिश मौसम, पहाड़ों समेत अन्य चीजों में बदलाव देखने को मिल रहा है। इसी बीच एक रिचर्स में थार रेगिस्तान को लेकर बड़ा दावा किया गया है।
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हरे-भरे जंगलों में तब्दील हो सकता है थार रेगिस्तान
शोधकर्ताओं का दावाा है, दुनिया के ज्यादातर रेगिस्तानों का आकार और तापमान बढ़ सकता है तो वहीं राजस्थान से पाकिस्तान तक फैला थार रेगिस्तान हरे-भरे जंगल में तब्दील हो सकता है।
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दुनिया का 20वां सबसे बड़ा रेगिस्तान है थार
थार रेगिस्तान भारत के राजस्थान से लेकर पाकिस्तान के सिंध तक 2 लाख वर्ग किलोमीरट में फैला हुआ है। यह दुनिया का 20वां सबसे बड़ा रेगिस्तान है।
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2050 तक बढ़ सकता है रेगिस्तान
शोध के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन से रेगिस्तानों के आकार में परिवर्तन आ सकता है। अनुमान है कि सहारा रेगिस्तान का आकार 2050 तक 6,000 हजार वर्ग किलोमीटर बढ़ सकता है।
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थार रेगिस्तान में बढ़ा बारिश का प्रतिशत
थार रेगिस्तान में औसत वर्षा में 1901 और 2015 के बीच 10-50 फीसदी की वृद्धि हुई है।
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मानसून के खिसकने से रेगिस्तान का निर्माण
शोध में कहा गया है कि मानसून के पूर्व की ओर खिसकने से यहां सूखा पड़ा और ये रेगिस्तान बन गए। जबकि यहां सिंधू घाटी सभ्यता मौजूद थी तब वहां भरपूर बारिश होती थी।
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भारतीय मानसून के लौटने पर बदल जाएंगे हालात
शोधकर्ताओं का दावा है कि अगर भारतीय मानसून के पश्चिम की ओर लौटने की प्रवृत्ति जारी रही, तो पूरा थार रेगिस्तान आर्द्र मानसूनी जलवायु क्षेत्र में बदल जाएगा।