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Janmashtami 2024: हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। हर साल भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024,सोमवार को है।
अगर आप भी इस जन्माष्टमी पर विधिपूर्वक पूजा करके जीवन को सफल और सुखी बनाना चाहते हैं, तो यहां जानें, कैसे करें श्रीकृष्ण की विधिपूर्वक पूजन और कौन-कौन से मंत्रों का उच्चारण करें।
ओम अपवित्रः पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोअपि वा। यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।।
इस मंत्र का उच्चारण करने के बाद जल को स्वयं और पूजन सामग्री पर छिड़ककर पवित्र करें।
वसुदेव सुतं देव कंस चाणूर मर्दनम्। देवकी परमानंदं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।।
अर्थ: हे वसुदेव के पुत्र, कंस और चाणूर का अंत करने वाले देवकी को आनंद देने वाले जगतगुरु आपको नमस्कार है।
‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः कार्य सिद्धयर्थं कलशाधिष्ठित देवता सहित, श्रीजन्माष्टमी पूजनं महं करिष्ये।
संकल्प मंत्र के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है, इसलिए इसे अवश्य बोलें।
अनादिमाद्यं पुरुषोत्तमोत्तमं श्रीकृष्णचन्द्रं निजभक्तवत्सलम्। स्वयं त्वसंख्याण्डपतिं परात्परं राधापतिं त्वां शरणं व्रजाम्यहम्।।
इसके बाद, तिल और जौ को भगवान की प्रतिमा पर छोड़ दें।
रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्वासौख्यकरं शुभम्। आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वर।।
अर्घ्यं गृहाण देवेश गन्धपुष्पाक्षतैः सह। करुणां करु मे देव! गृहाणार्घ्यं नमोस्तु ते।।
गंगा, सरस्वती, रेवा, पयोष्णी, नर्मदाजलैः। स्नापितोअसि मया देव तथा शांति कुरुष्व मे।।
शीतवातोष्णसन्त्राणं लज्जाया रक्षणं परम्। देहालअंगकरणं वस्त्रमतः शान्तिं प्रयच्छ मे।
यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्। आयुष्मयग्यं प्रतिमुन्ज शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।
श्रीखंड चंदनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम्। विलेपनं सुरश्रेष्ठ चंदनं प्रतिगृह्यताम्।।
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो। मयाआहृतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
दूर्वांकुरान् सुहरितानमृतान्मंगलप्रदान्। आनीतांस्तव पूजार्थं गृहाण परमेश्वर।।
इदं नाना विधि नैवेद्यानि ओम नमो भगवते वासुदेवं, देवकीसुतं समर्पयामि।
इदं आचमनम् ओम नमो भगवते वासुदेवं, देवकीसुतं समर्पयामि।
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च। तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिण पदे-पदे।