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15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है। इस बार 10 शुभ योग बन रहे हैं। जिससे कलश स्पाथना से लेकर भोग तक का आपको खास ध्यान रखना होगा।
कलश स्थापना के दौरान दिशा का ध्यान रखें। कलश को ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व में स्थापित किया जाना चाहिए। इसे देवताओं की दिशा कहते हैं।
कलश स्थापना के दौरान कभी भी कलश का मुंह खुला न रखें। इसे किसी चीज से ढक दें और चावल से भरकर नारियल रखें।
कलश स्थापना से पहले माता के सामने अखंड ज्योत जलाएं। इस पूर्व-दक्षिण दिशा में रखें और समय-समय पर घी या तेल डालते रहें।
अगर-आपने कलश स्थापना की है तो साफ-सफाई का ध्यान रखें और घटस्थापना के लिए चंदन की लकड़ी का प्रयोग करें।
कलश स्थापना कभी किचन या बाथरूम के पास न करें। अगर पूजा स्थल में जगह नही हैं तो आप कमरे में घटस्थापना करें।
बहुत से लोग लोहे और स्टील कलश में घटस्थापना करते हैं लेककिन कलश मिट्टी, सोना, चांदी या फिर तांबे का होना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।