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रमजान इबादत का महीना होता है और इस महीने में तरावीह की नमाज अदा की जाती है जिसकी बहुत फजीलत होती है।
रमजानके महीने में रोजा रखते हैं पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं और जकात अदा करते हैं।रमजान के महीने में तरावीह नमाज़ अदा करना जरूरी होता है क्यूंकि तरावीह सिर्फ रमजान में पढ़ी जाती है।
ईशा की नमाज के बाद तरावीह पढ़ी जाती है। इस नमाज़ को मर्द और औरत दोनों पढ़ सकते हैं।
तरावीह की नमाज को घर पर भी पढ़ा जा सकता है। लेकिन मस्जिद और घर पर पढ़े जाने वाले तरावीह की नमाज में थोड़ा अंतर होता है। इसमें डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है।
तरावीह की नमाज में 20 रकात नमाजें होती हैं। हर 2 रकात के बाद सलाम फेरा जाता है. 10 सलाम में 20 रकात होती हैं और 4 रकात के बाद दुआ पढ़ी जाती है।
तरावीह की नमाज़ के बाद दुआ में नमाजी अपने मुल्क अपने मां बाप भाई बहन रिश्तेदार और समजा सलामती की दुआ मांगते हैं।
माह-ए-रमजान में तरावीह की दुआ का बहुत महत्व होता है। दुआ पढ़े बिना तरावीह की नमाज अधूरी मानी जाती है।