25 दिसंबर 2022 को ख़ुशी पांडेय के नाना की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई। घना कोहरा के कारण कार सवार ने इनके नाना को टक्कर मार दी थी। तब से वो लोगों से लाइट लगवाने की अपील करने लगीं।
2022 में नाना कैलाश नाथ तिवारी की दुखद मौत के बाद खुशी ने एक प्रण लिया कि वो अब अंधेरे में चल रहे साइकिल और ठेले वालों को लाइट लगाने में मदद करेंगी।
बता दें, यह नेक काम करने के साथ-साथ लखनऊ के आलमबाग की रहने वाली खुशी सरकारी हॉस्पिटल में फूड राइड भी चलाती हैं। एक बार में 500 लोगों को खाना दिया जाता है।
18 साल उम्र में खुशी ने प्रोजेक्ट उजाला स्टार्ट किया और इसके बाद वो सड़कों पर बोर्ड लेकर उतरने लगी ताकि अंधेरे में कोई दुर्घटना ग्रस्त ना हो।
मजदूरों को डेंगू से बचाने के लिए खुशी खुशियां बांटती हैं। वो लोगों को मच्छरदानी और एप्पल जूस, ऑरेंज जूस भी देती हैं।
खुशी के कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। प्रोजेक्ट छांव के तहत वो सड़क किनारे धूप में फल सब्जी बेचने वाले दुकानदारों को बड़ी छतरी देती हैं।
उन्नाव के एक गांव से ताल्लुक रखने वाली खुशी ने लखनऊ के रामस्वरूप कॉलेज से लॉ किया है। वो अंडरप्रिविलेज्ड बच्चों के लिए एक स्कूल भी चला रही है, जिसमें 82 बच्चे हैं।
प्रोजेक्ट "छांव"के तहत सड़क किनारे धूप में फल सब्जी बेचने वाले दुकानदारों को बड़ी छतरी और गर्मी में काम करने वाले मजदूरों को वो गमछा भी देती हैं।
खुशी ने बताया- वो कुछ कंपनी के लिए ऐड करती हैं। उनके 2 यूट्यूब चैनल भी हैं। इससे जो भी आमदनी होती है, उसका 80% वह लोगों की मदद में खर्च कर देती हैं।
खुशी ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया- दाग़। इसके अंतर्गत सरकारी स्कूल और स्लम की महिलाओं को मेंस्ट्रूअल हाइजीन को लेकर वो सेशन देती हैं।
"साइकिल पर लाइट लगवा लो" का बोर्ड लेकर खुशी अक्सर सड़क-चौराहों पर खड़ी नजर आ जाती हैं। वो लोगों को रोककर लाइट लगवाने की अपील करती हैं। वो नाना वाला हादसा भी लोगों को बताती हैं।
खुशी के पिता की शुरुआत में माली हालत ठीक नहीं थी। इसलिए उन्होंने शकुंतला देवी नाम के एनजीओ में बच्चों का एडमिशन करा दिया। खुशी ने वहां क्लास 6 तक पढ़ाई की।