10 साल, 350 कहानियां,PM  की तारीफ़-पढ़ें दास्तानगो हिमांशु बाजपाई का सफ़र

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10 साल, 350 कहानियां,PM की तारीफ़-पढ़ें दास्तानगो हिमांशु बाजपाई का सफ़र

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<p>हिमांशु बाजपाई ने  तमाम बड़े मीडिया संस्थानों में काम किया लेकिन उनको आत्म संतुष्टि नहीं मिली। जर्नलिज्म की प्रोफेशनल डिग्री होने के बावजूद करियर को लेकर खुश नहीं थे। </p>

दास्तानगो हिमांशु बाजपाई पहले पत्रकार हुआ करते थे

हिमांशु बाजपाई ने  तमाम बड़े मीडिया संस्थानों में काम किया लेकिन उनको आत्म संतुष्टि नहीं मिली। जर्नलिज्म की प्रोफेशनल डिग्री होने के बावजूद करियर को लेकर खुश नहीं थे। 

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<p>हिमांशु लखनऊ के राजा बाजार के रहने वाले हैं। पिता गवर्नमेंट टीचर थे। मां हाउसवाइफ हैं। पुराने लखनऊ में मिली जुली संस्कृति में परवरिश की वजह से और ज़ुबान बेहतरीन था ।</p>

हिमांशु की ज़ुबान पर लखनऊ बोलता है

हिमांशु लखनऊ के राजा बाजार के रहने वाले हैं। पिता गवर्नमेंट टीचर थे। मां हाउसवाइफ हैं। पुराने लखनऊ में मिली जुली संस्कृति में परवरिश की वजह से और ज़ुबान बेहतरीन था ।

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<p>हिमांशु ने वर्धा के महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय से लखनऊ के ऐतिहासिक नवल किशोर प्रेस पर पीएचडी की है।साल 2021 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। </p>

हिमांशु को मिला साहित्य अकादमी पुरस्कार

हिमांशु ने वर्धा के महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय से लखनऊ के ऐतिहासिक नवल किशोर प्रेस पर पीएचडी की है।साल 2021 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। 

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दोस्त ने हिमांशु को दास्तानगोई  के लिए कन्वींस किया

मशहूर दास्तानगो और हिमांशु के दोस्त अंकित ने हिमांशु को दास्तान गोई के लिए   इंसिस्ट किया था और अक्टूबर 2014 में हिमांशु ने अंकित के साथ पहली दास्तान परफॉर्म किया था। 

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अंकित और हिमांशु की जोड़ी ने मचाया धमाल

दास्तान गोई में जुबान के उतार चढ़ाव मंजर कशी और माहौल का ख़ाका खींचने में अंकित ने हिमांशु को मुकम्मल तरीके से प्रीपेयर कर दिया। स्टेज पर दोनो की जोड़ी धमाल मचाने लगी। 

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और छूट गया अंकित का साथ

हिमांशु ने शायद ख्वाब में भी नहीं सोचा था, उनका दोस्त, उनका स्टेज पार्टनर अंकित हमेशा के लिए उनसे जुदा हो गया।  9 मई 2018 को अंकित रिवर राफ्टिंग के दौरान नदी में डूब गया।

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हिमांशु को अकेले संभालना पड़ा स्टेज

अंकित के जाने के बाद हिमांशु को तनहा दास्तान गोई में मैदान संभालना था।लेकिन कहते हैं ना वक्त सबसे बड़ा मरहम होता है। 2018 के बाद दास्तान गोई हिमांशु के लिए फुल टाइम जॉब हो गई। 

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राष्ट्रपति ने दिया हिमांशु को निमंत्रण

हिमांशु अब तक 350 दास्तान सुना चुके हैं। कहानी सुनाने के लिए उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित हार्वर्ड वर्ल्ड वाइड वीक में निमंत्रण दिया था।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी हिमांशु की दास्तानगोई भा गई

नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में हिमांशु और प्रज्ञा शर्मा द्वारा रानी दुर्गावती पर की गई दास्तान गोई का जिक्र किया था । 

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