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प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायक उस्ताद राशिद खान नहीं रहे। 21 नवम्बर को स्ट्रोक के बाद अस्पताल में एडमिट थे।
उस्ताद राशिद खान प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनके पूरे शरीर में इंफेक्शन फैल गया था। कोलकाता के एक निजी अस्पताल में दम तोड़ा।
उस्ताद राशिद खान की भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी ने तारीफ करते हुए कहा था कि जब तक राशिद जैसे गायक, शुद्ध शास्त्रीय संगीत का भविष्य उज्ज्वल।
राशिद खान की गायकी पर पंडित भीमसेन जोशी का प्रभाव दिखता था। सुरों की ऐसी सफाई कहीं और सुनने को नहीं मिलती।
राशिद खान उपशास्त्रीय संगीत भी बड़े चाव से गाते थे। ठुमरी के साथ तराना भी मन से गाते थे।
उस्ताद राशिद खान का जन्म यूपी के बदायूं जिले में साल 1966 में उस्ताद इनायत हुसैन खान के घर हुआ था।
दिग्गज शास्त्रीय गायक उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान के भतीजे राशिद खान ने चाचा से गायकी सीखी। फिर बदायूं लौट आए।
राशिद बचपन में घंटों एक ही सुर का रियाज करते थे। कभी-कभी पूरा दिन रियाज में लगा देते।
उस्ताद राशिद खान का हमेशा कोलकाता से खास रिश्ता रहा। वहां की आईटीसी संगीत रिसर्च एकेडमी ज्वाइन कर ली थी।
राशिद खान को 14 साल की उम्र में 1994 में औचपारिक तौर पर म्यूजिशियन का खिताब दिया गया था। पहले ही ऑडिशन में ‘ए ग्रेड’ के कलाकार बने।