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सियासी हलचल के बीच आज दिल्ली सेवा बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा। लोकसभा में यह बिल पास हो चुका है। पक्ष-विपक्ष ने सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है।
केजरीवाल के समर्थन में 26 विपक्षी पार्टियां हैं। तेलंगाना की BRS ने भी बिल का विरोध करने के लिए कहा है। बसपा बायकॉट करेगी। बीजेडी,वाईएसआर और टीडीपी जैसे गैर धल NDA को समर्थन देंगे।
दिल्ली में अधिकारों की जंग को लेकर लंबे वक्त से केंद्र और केजरीवाल सरकार में ठनी है।
दिल्ली में विधानसभा और सरकार के कामकाज के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) अधिनियम, 1991 लागू है। 2021 में केंद्र सरकार ने इसमें संशोधन किया था।
GNCTD अधिनियम में हुए संशोधन के मुताबिक, सरकार को कोई भी फैसला लेने के लिए उपराज्यपाल की अनुमति लेना अनिवार्य है।
केंद्र सरकार के इस फैसले को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
कोर्ट ने कहा था कि अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा। चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होगा। उपराज्यपाल को सरकार की सलाह माननी होगी।
SC के फैसले के बाद केंद्र अध्यादेश लेकर आई। राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने को कहा गया था। ग्रुप-ए के अफसरों के ट्रांसफर और कार्रवाही का जिम्मा प्राधिकरण को दिया गया।
बिल लोकसभा में पास हो चुका है। राज्यसभा में आज वोटिंग होगी। ऐसे में हर किसी की नजरें इस पर टिकीं हुईं हैं।