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कैसे बना मुस्लिम बहुल लक्षद्वीप भारत का हिस्सा?

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भारतीय सभ्यता और संस्कृति से बेहतर तालमेल

भले ही लक्षद्वीप मुस्लिम बहुल है। पर यह हमेशा भारतीय सभ्यता और संस्कृति से बेहतर तालमेल को लेकर चर्चा में रहा है।

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केरल तट से 400 किमी दूर

भारत के लिए सामरिक और सांस्कृतिक रूप से खास लक्षद्वीप अरब सागर में केरल तट से लगभग 400 किमी दूर है। यह बेमिसाल द्वीप प्राकृतिक संपदाओं से समृद्ध है।

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लक्षद्वीप में प्रचलित इस्लाम अलग

लक्षद्वीप में ज्यादातर मुस्लिम निवासी हैं। पर यहां प्रचलित इस्लाम अलग है। स्थानीय लोग अरब, तमिल, मलयालियों से सांस्कृतिक रिश्ते शेयर करते हैं।

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अरब व्यापारियों-नाविकों के संपर्क से इस्लाम

 

कहा जाता है कि अरब व्यापारियों-नाविकों से लंबे समय से संपर्क की वजह से यहां के लोग इस्लाम में परिवर्तित हुए। यहां इस्लाम अरब से आया।
 

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16वीं शताब्दी में केरल में एकमात्र मुस्लिम राजवंश

कन्नूर के अरक्कल साम्राज्य के नियंत्रण में यह द्वीप था। तब सिर्फ एकमात्र मुस्लिम राजवंश था। उस समय राजनीतिक प्रतिस्पर्धा आज के मुकाबले कम थी।

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पुर्तगालियों से संधि के बाद मिली सुरक्षा

16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने कब्जा करने का प्रयास किया। नरसंहार हुआ। शासकों से संधि के बाद स्थानीय लोगों को सुरक्षा मिली।

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ट्रिब्यूट के बदल क्राउन को मिला था यह हिस्सा

अरक्कल साम्राज्य ने 1908 तक लक्षद्वीप का एक हिस्सा अपने पास कायम रखा। ​बाद में यह ट्रिब्यूट के बदले में इस्ट इंडिया कंपनी के बाद क्राउन को मिला।

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मलयालम, जजारी और महल तीन मुख्य भाषाएं

लक्षद्वीप की तीन प्रमुख भाषाएं मलयालम, जजारी और महल हैं। किसी एक संस्कृति का प्रभाव नहीं। अरबी मिश्रण वाली मलयाली बोली जाती है। 

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