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साल 2002 में गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ नृशंस गैंगरेप किया गया। उनकी बेटी समेत 7 लोगों की हत्या कर दी गई।
मामले की पुलिस ने जांच शुरु की तो सबूतों के अभाव में केस खारिज हुआ। मानवाधिकार आयोग तक केस पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई जांच में 18 लोग दोषी पाए गए। पीड़िता की अपील पर मामला मुंबई कोर्ट में ट्रांसफर हो गया।
साल 2008 में कोर्ट ने 11 लोगोंं को उम्र कैद की सजा सुनाई और 7 सबूतों के अभाव में बरी हो गए। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी फैसला यथावत रखा।
रिपोर्ट के अनुसार, दोषी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तो बड़ी अदालत ने गुजरात सरकार से फैसला लेने के लिए कहा। सरकार ने इंडिपेंडेंस डे पर 11 दोषियों को रिहा कर दिया।
दोषियों की रिहाई के बाद देश भर में नयी बहस छिड़ गई। इस मामले को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन भी किया गया।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है। 11 दोषियों को 2 सप्ताह के अंदर सरेंडर करने के लिए कहा है।