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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय बिजनौर के एक डिग्री कॉलेज में केमिस्ट्री के प्रोफेसर थे।
चंपत राय कॉलेज में पढ़ा रहे थे, तभी पुलिस पहुंची। कहा-बच्चों को पढ़ाकर थाने आ जाऊंगा। फिर थाने पहुंचे और 18 महीने जेल में रहे।
चंपत राय के पिता रामेश्वर शुरुआती दिनों से ही आरएसएस से जुड़े थे। उन्हीं को देखकर वह भी आरएसएस में शामिल हुए।
आपातकाल खत्म होने के बाद चंपत राय जेल से रिहा हुए तो सरकारी नौकरी से रिजाइन कर दिया। संघ प्रचारक बन गए।
संघ ने चंपत को राम मंदिर आंदोलन की जिम्मेदारी सौंपी तो घर-घर जाकर राम मंदिर आंदोलन के लिए युवाओं की फौज खड़ी की।
अयोध्या विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद चंपत ने राम मंदिर से जुड़े इतने डाक्यूमेंट्स इकट्ठा किए कि उनका घर पन्नों से भर गया।
चंपत राय राम मंदिर आंदोलन को लेकर ऐसा उलझे कि उन्होंने शादी तक नहीं की।
चंपत राय ने अपना पूरा जीवन राम लला के चरणों में गुजार दिया। प्यार से लोग उन्हें रामलला का पटवारी भी कहते हैं।
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