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सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर पर फैसला सुनाते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रावधान था। जिसे हटाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है।
अदालत ने कहा कि संवैधानिक तौर पर धारा 370 को हटाने कगी प्रकिया सही थी। राष्ट्रपति के पास उसे हटाने की शक्ति थी क्योंकि विधानसभा भंग हो चुकी थी।
कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की कोई संप्रभुता नहीं थी। भारत में जब राज्य का विलय हुआ तब उसने संप्रभुता को भारत में विलीन किया था।
कोर्ट ने कहा कि धारा 370 को हटाने को लेकर इसमें कोई भी संवैधानिक खामी नहीं पाई गई। इतने सालों बाद फैसले की वैधता पर बात करना सही नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि विधानसभा भंग होने पर राष्ट्रपति राज्यपाल के जरिए शासन करता है। ऐसे में राष्ट्रपति फैसले लेने का अधिकारी होता है।
फैसले में कोर्ट ने केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करने के आदेश दिए।
इसके साथ ही कोर्ट ने चुनाव आयोग को 30 सितंबर 2023 तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि अन्य राज्यों की तरह जम्मू-कश्मीर मे भी संप्रभुता नहीं है। महराजा हरि सिंह ने जब जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में कराया था तब राज्य की संप्रभुता को भी विलीन किया था।