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क्या आप जानते हैं कि एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग वाला मंदिर भारत में स्थित है? जानिए महाभैरव मंदिर की अनोखी और ऐतिहासिक कहानी।
महाभैरव मंदिर की स्थापना द्वापर युग में बाण राजा ने असम के तेजपुर में की थी। इसे शिव की पूजा का एक अद्वितीय केंद्र माना जाता है।
महाभैरव मंदिर में स्थित शिवलिंग को लेकर मान्यता है कि यह स्वयं प्रकट हुआ था। इसे 'स्वयंभू' शिवलिंग कहा जाता है, जो चमत्कारी और रहस्यमय है।
समय के साथ मंदिर का कुछ हिस्सा ध्वस्त हो गया था। बाद में अहोम राजाओं ने इसे पुनः निर्मित कर मंदिर की महिमा को फिर से स्थापित किया।
इस शिवलिंग का आकार लगातार बढ़ता रहता है, जो इसे और भी अद्वितीय बनाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यह शिवलिंग मानव प्रयास से नहीं, बल्कि स्वाभाविक रूप से बढ़ता है।
महाभैरव मंदिर में प्रतिदिन 5,000 से 7,000 भक्त आते हैं, जबकि सावन महीने में भक्तों की संख्या लाखों तक पहुँच जाती है।
सावन के महीने में यहाँ विशेष पूजा-पाठ और रुद्राभिषेक होते हैं। भक्त शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र अर्पित कर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।