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श्रीमद्भगवद्गीता के 5 महत्वपूर्ण श्लोक जो जीवन की समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं। अर्जुन और श्रीकृष्ण के संवाद से जीवन के महत्वपूर्ण गुणों को कैसे विकसित करें, यहां जानें।
हर समस्या का समाधान होता है, बस इसे पहचानने और टाइम पर लागू करने की जरूरत होती है। गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन के गूढ़ रहस्यों और समस्याओं से निपटने के बारे में बताया हैं।
मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः, आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत।
अर्थात जीवन में सुख-दुःख सर्दी-गर्मी की तरह आते-जाते रहते हैं, इसलिए हमें स्थिर रहना चाहिए।
तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर। असक्तो ह्याचरन् कर्म परं आप्नोति पुरुषः।
अर्थात जब अपने कार्यों को रिजल्ट की चिंता किए बिना करते हैं, तो हमें इंटरनल शांति और स्थिरता मिलती है।
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः। स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।
अर्थात लोग उन्हें ही फॉलो करते हैं जिन्हें वे आदर्श मानते हैं। इसलिए हर व्यक्ति को नैतिक आचरण करना चाहिए।
श्रेयान् स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्। स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।
अर्थात अपने कार्य करने में ही संतोष मिलता है। दूसरों के काम में हस्तक्षेप से अशांति हाेती है।
मच्छित्तः सर्वदुर्गाणि मत्प्रसादात्तरिष्यसि। अथ चेत्त्वमहङ्कारान्न श्रोष्यसि विनङ्क्ष्यसि।
अर्थात अहंकार का त्याग कर हम भगवत कृपा से जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।
इन श्लोकों का अध्ययन और पालन करके हम जीवन की चुनौतियों का समाधान पा सकते हैं और अपने जीवन को बेहतर दिशा में ले जा सकते हैं।