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भारत में नौकरीपेशा लोगों के लिए पीएफ खाता अनिवार्य होता है। इसे एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) संचालित करता है। हर महीने सैलरी का 12% हिस्सा पीएफ खाते में जमा होता है।
EPFO के नियमों के मुताबिक, यदि कोई कर्मचारी लगातार 10 साल तक पीएफ खाते में योगदान देता है, तो वह पेंशन का हकदार बनता है।
अगर कोई पीएफ खाताधारक अपने EPF और EPS के पूरे पैसे निकाल लेता है, तो वह पेंशन पाने के योग्य नहीं रहेगा।
अगर कर्मचारी जॉब छोड़ देता है, पर उसका ईपीएस फंड बरकरार रहता है। ऐसी दशा में वह पेंशन का हकदार होता है।
EPFO के अनुसार, कर्मचारी 50 साल की उम्र के बाद पेंशन के लिए आवेदन कर सकता है।
कंपनी के 12% योगदान का 8.33% हिस्सा EPS (पेंशन फंड) में और 3.67% हिस्सा EPF (पीएफ फंड) में जाता है।