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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि भगवान छलिया हैं। उनकी उपस्थिति इतनी गूढ़ होती है कि हम उन्हें पहचान नहीं पाते। चाहे कोई थोड़ा ही भजन करने वाला हो, भगवान उससे भी मिलते हैं।
वह कहते हैं कि भगवान किसी भी रूप में आ सकते हैं, इसीलिए, संत कहते हैं कि सबसे होश में मिलो, क्योंकि नारायण किसी भी रूप में आ सकते हैं।
उनका कहना है कि भगवान किस रूप में आएंगे, इसका कोई निश्चय नहीं होता। वह यह बताकर नहीं आते कि वह किस रूप में आ रहे हैं। इसलिए, हमें हर समय अपने व्यवहार को लेकर सतर्क रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि हम भगवान का अपमान कर दें, तो यह दुर्भाग्य की बात है। इसीलिए हमें हर किसी के साथ सम्मान और प्रेम से पेश आना चाहिए। क्योंकि भगवान किसी भी रूप में आ सकते हैं।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि हमें हर किसी में भगवान को देखने का प्रयास करना चाहिए। हमें सबमें झांककर देखना चाहिए कि न जाने किस रूप में भगवान छिपे हों।
वह कहते हैं कि जब आप इस भाव के साथ जीवन जीने लगेंगे, तो भगवान आपसे छिपेंगे नहीं। आपका सम्मान और प्रेम भरा व्यवहार ही उन्हें सामने लाएगा। यह मार्ग भगवान से मिलने का सही तरीका है।
वह कहते हैं कि अगर आप इस मार्ग पर चलते रहेंगे, तो किसी दिन भगवान अवश्य मिल जाएंगे।