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ओलंपिक की अपेक्षा Paralympic में क्यों बढ़ा भारतीयों का दबदबा? 5 कारण

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पैरालंपिक में सफलता की 5 वजहें

ओलंपिक की बजाए पैरालंपिक में भारतीय पैरा-एथलीटों को ज्यादा सफलता मिली है। आइए इसकी 5 वजह जानते हैं।

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1. पैरा-स्पोर्ट्स पर भारी इंवेस्टमेंट

भारत सरकार और पैरालंपिक समिति (PCI) ने हाल के वर्षों में पैरा-स्पोर्ट्स में भारी निवेश किया है। टोक्यो पैरालंपिक के लिए ₹26 करोड़ का बजट था, इस बार ₹74 करोड़।

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2. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम प्रतिस्पर्धा

ओलंपिक की अपेक्षा पैरालंपिक में प्रतिस्पर्धा का स्तर कई बार कम होता है। जैसे एथलेटिक्‍स-बैडमिंटन। हमारे प्‍लेयर्स का प्रदर्शन बेहतरीन होता है। 

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3. वर्गीकरण प्रणाली

पैरालंपिक में वर्गीकरण प्रणाली का उद्देश्य है कि एक जैसी शारीरिक क्षमता वाले एथलीट एक ही श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करें। इससे भारतीय पैरा-एथलीटों को प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलती है।

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4. पैरा-एथलीटों का समर्पण

भारतीय पैरा-एथलीटों ने समाजिक, आर्थिक और शारीरिक चुनौतियों को पार करते हुए अपने खेल में उत्कृष्टता प्राप्त की है। कई एथलीट ऐसे क्षेत्रों से हैं जहां खेल की सुविधाएं बहुत कम हैं।

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5. खेल विज्ञान

भारत ने पैरा-स्पोर्ट्स में खेल चिकित्साऔर प्रशिक्षण तकनीकों में भी निवेश किया है। प्‍लेयर्स को अब खेल विज्ञान और टेक्नोलॉजी का पूरा लाभ मिल रहा है, जिससे उनका प्रदर्शन सुधरा है।

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ओलंपिक और पैरालंपिक की तुलना क्यों नहीं ?

ओलंपिक और पैरालंपिक दोनों अलग-अलग खेल प्रतियोगिताएं हैं, जिनकी प्रतिस्पर्धा की प्रकृति अलग हैं। लेकिन पैरालंपिक की सफलता भारत के खेल प्रबंधन में सकारात्मक बदलाव का संकेत देती है।

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