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वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज ने लड़का-लड़की की दोस्ती पर आंखें खोलने वाली बात कही है। यूथ को यह बात जरूर सुननी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मित्र बनाना दोष नहीं है। बच्चा-बच्ची एक दूसरे को मित्र बना लें। उसमें कोई परेशानी नहीं है। विचार करके देखो, क्या भाई और बहन एक परिवार में नहीं रहते हैं।
वह कहते हैं कि यदि स्कूल में बच्चा और बच्ची मित्रवत खेल रहे हैं तो उसमें कोई दिक्कत नहीं है। पर आप दोष क्यों स्वीकारते हो।
उन्होंने कहा कि जब तक लड़का या लड़की की शादी न हो जाए। तब तक ब्रह्मचर्य रहना चाहिए। व्यभिचार न करो। व्यभिचार दोस्ती है क्या? एक दूसरे को जीवन को नष्ट कर देना दोस्ती नहीं है।
वह कहते हैं कि इस तरह की जो दोस्ती चल रही है। वह भगवान नहीं, संसार की तरफ भी आपको उन्नतशील नहीं होने देगी।
वह कहते हैं कि छोटे छोटे बच्चे जब ब्रह्मचर्य रहित रहेंगे तो उनका चिंतन और शरीर बल कमजोर होगा। फिर वह कैसे उन्नति प्राप्त करेंगे।