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वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज जी सत्संग में लोगों के सवालों का जवाब देते हैं। एक संत ने उनसे पूछा कि मन में अपने इष्ट को कैसे बसाएं? आइए जानते हैं जवाब।
संत के सवाल जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि मंत्र को मन के अंदर लिखो। थोड़े प्रयास के बाद यह दिखाई देने लगेगा। हम बाहर कुछ लिखने की बात नहीं कर रहे हैं।
प्रेमानंद जी कहते हैं कि मन में राधा, शिव पार्वती या इष्ट का मंत्र अपने भावों की सहायता से लिखो। यदि उसी को देखने लगोगे तो हजारों माला जप का लाभ एक बार में मिल जाएगा।
वह कहते हैं कि एक समय ऐसा आएगा कि वही मंत्र या नाम सामने दिख रहा है और उसी को सुन भी रहे हैं। इस तरह वह मंत्र हृदय में बस जाएगा।
एक अन्य साधक ने प्रेमानंद जी से पूछा कि मंत्र को बोर्ड, दीवार या पत्ते पर कहां लिखना है तो उन्होंने बताया कि मंत्र को दोनों भौहों के मध्य आज्ञा चक्र पर लिखते हैं।
प्रेमानंद जी कहते हैं कि गुरु ने जो मंत्र दिया है। वह अक्षर ब्रह्म है। एक बार वह हृदय में बस गया तो मन उसका गुलाम हो जाता है और बाहर भटकना बंद कर देता है।
वह कहते हैं कि अभ्यास करने पर धीरे-धीरे अंत:करण पवित्र होने लगेगा तो मंत्र हृदय में दिखने लगेगा। सभी साधकों से कहता हूॅं कि एक बार बस इसको पकड़ लीजिए।
यहां दी गई जानकारी सामाजिक व धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। hindi.mynation.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।