Utility News
वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज सत्संग में एक श्रद्धालु के सवाल पर बोलें कि देहाती भाषा में कहते हैं कि उतना पैर पसारिए, जितनी लंबी चादर। बड़े सुखी रहोगे।
उन्होंने कहा कि यदि संतान को करोड़ों का सुख भोगना है तो वह वैसे ही विवेकवान बनेगा। नहीं तो तुम करोड़ो जमा करके चले जाओ। वह नष्ट कर देगा।
वह कहते हैं कि गृहस्थी में धैर्यपूर्वक रहना चाहिए। सुख दुख के थपेड़े आते रहते हैं। नाम जप करें, मेहनत से कमाएं, धैर्यपूर्वक चलें। उसका परिवार सुखी, प्रसन्न, उन्नतिशील होगा।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि बेईमानी, घूंस, अधर्म, पापाचरण से चाहे जितना पैसा इकट्ठा कर लो। अंत में पूरा परिवार बर्बाद हो जाएगा।
वह कहते हैं कि धर्म स्वयं आनंद स्वरूप है। अधर्म स्वयं क्लेश और अशांति स्वरूप है।
अधर्म से आया हुआ धन और अधर्म से किया हुआ पापाचरण आपको हमेशा दुख और अशांति देगा।
उन्होंने कहा कि इतना न सोचो कि हम अकेले कमाने वाले हैं। संसार में ऐसे करोड़ो लोग हैं। कमाने वाला अकेला ही होता है, खाने वाले 5—10 जरूर हो जाते हैं।
यहां दी गई जानकारी सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। माय नेशन इसकी पुष्टि नहीं करता है।