रूस जैसे देश में यह एक कड़वी सच्चाई बन चुकी है। यहां की बड़ी-बड़ी डिग्रियां अब रोजगार पाने में मदद नहीं करतीं।
कभी रूस की शिक्षा प्रणाली को दुनिया में बेहतरीन माना जाता था। लेकिन पिछले कुछ दशकों में, इसकी गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है।
रूस के छात्रों का कहना है कि उनकी डिग्री अब बस एक कागज के टुकड़े के समान है। बड़ी यूनिवर्सिटी से महंगी डिग्री लेने के बाद भी, योग्यतानुसार नौकरी नहीं मिलती।
दूसरे देशों में भी रूसी डिग्रियों की वैल्यू कम हो चुकी है। शिक्षा का स्तर वैश्विक मानकों से नीचे होने के कारण, विदेशी कंपनियां रूसी डिग्री धारकों को नौकरी देने से बचती हैं।
युवा वर्ग अपनी पढ़ाई और मेहनत के बावजूद रोजगार पाने के लिए भटकते रहते हैं। कई बार ये लोग नीची मजदूरी पर काम करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।