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सीताराम येचुरी, भारतीय राजनीति का प्रमुख चेहरा हैं। भारतीय मार्क्सवादी राजनीतिज्ञ और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव हैं। जानिए उनके जीवन और करियर की अनकही कहानी।
12 अगस्त 1952 को चेन्नई में जन्मे, सीताराम हैदराबाद में पले-बढ़े। दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए किया। 1969 के तेलंगाना आंदोलन ने उन्हें दिल्ली पहुंचा दिया।
सीताराम ने जेएनयू से एमए किया और पीएचडी की पढ़ाई के दौरान आपातकाल में गिरफ्तार हुए। उनका जेएनयू के वामपंथी छात्र आंदोलनों में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
येचुरी 1977-78 के दौरान एक साल में तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। प्रकाश करात के साथ मिलकर जेएनयू में वामपंथी ताकतों का अभेद्य गढ़ बनाया था।
1974 में येचुरी स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) में शामिल हुए और 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जुड़े।
1984 में, उन्हें सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति में शामिल किया गया। 2015 में, वे पार्टी के महासचिव बने।
येचुरी दो बार राज्यसभा सांसद रहे और 1996 में संयुक्त मोर्चा सरकार के साझा न्यूनतम कार्यक्रम को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
येचुरी के बेटे आशीष येचुरी की 2021 में 34 वर्ष की आयु में कोविड-19 की वजह से मौत हो गई।