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Swati Maliwal Assault Case में FIR और मेडिकल के बाद अचानक से दिल्ली पुलिस एक्टिव हो गई। स्वाती का मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराने के बाद विभव को गिरफ्तार कर लिया।
यहां सवाल यह है कि आखिर स्वाती मालीवाल ने ऐसा क्या बयान दे दिया कि दिल्ली पुलिस फटाफट कार्रवाई में जुट गई। आइए जानते हैं कि क्या है CRPC की धारा 164। इस बयान का क्या है मतलब।
CRPC Section164 में जांच के दौरान पीड़िता या आरोपी का बयान क्षेत्र के अनुसार मेट्रोपॉलिटन या न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए जाते हैं। इन्हें बाद में बदला नहीं जा सकता है।
CRPC की धारा 164 के तहत विशेष परिस्थितियों में पीड़ित या आरोपी अन्य इलाके के मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करा सकता है। इसमें ऑडियो या वीडियो माध्यम में भी बयान दर्ज हो सकते हैं।
धारा 164 के बयान सिर्फ मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए जा सकते हैं। पुलिस को इसका अधिकार नहीं दिया गया है। पुलिस के सामने इससे संबंधित कोई बयान मान्य नहीं होता।
पुलिस को CRPC की धारा 161 के तहत बयान लेने का अधिकार है। बयान देने वाले व्यक्ति को अपने बयान के नीचे दस्तखत करने की ज़रूरत नहीं होती है।
CRPC की धारा 163 के तहत पुलिस किसी भी व्यक्ति से ज़बरदस्ती बयान नहीं ले सकती है। अगर पुलिस ऐसा करती है तब उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सकती है।
अगर कोई व्यक्ति CRPC की धारा 164 के तहत अपना बयान दर्ज कराता है तो मजिस्ट्रेट के पास उस बयान को सबूत मानने की शक्ति है, क्योकि मजिस्ट्रेट कलमबंद बयान लेता है।
मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराने के बाद पुलिस मामले की जांच को तेज कर देती है, ताकि आरोपी गवाहों और सबूतों को नुकसान न पहुंचा सके। जरूरत के अनुसार पुलिस अग्रिम कार्रवाई करती है।