"संगीत की दुनिया का सितारा चमकते हुए खामोश हो गया" पद्म विभूषण से सम्मानित और विश्वविख्यात तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन हो गया।
वह सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में अंतिम समय तक इलाज करवाते रहे। उनके परिवार के अनुसार, उस्ताद जाकिर हुसैन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) से पीड़ित थे।
आईपीएफ में फेफड़ों के टिश्यू खराब होने लगते हैं और उनमें स्कार टिश्यू का निर्माण होता है। इस वजह से फेफड़ों की क्षमता में कमी और सांस लेने में दिक्कत होती है।
आईपीएफ के कारण शरीर में ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाता है। इससे हाइपोक्सिमिया का खतरा बढ़ जाता है, जो जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है।
डॉक्टरों के अनुसार, आईपीएफ की बीमारी उम्र के साथ और भी गंभीर हो सकती है। 60 साल की उम्र के बाद यह बीमारी किसी भी मरीज के लिए घातक हो सकती है, लंग्स की क्षमता अचानक कम हो सकती है।
सांस लेने में कठिनाई
सीने में दर्द
लगातार खांसी
थकान
वजन घटना
आईपीएफ में प्रेडनिसोलोन जैसी दवाएं दी जाती हैं। ऑक्सीजन थेरेपी भी, लेकिन अगर बीमारी बढ़ जाए और इंफेक्शन फेफड़ों पर गंभीर असर डालने लगे, तो स्थिति बहुत गंभीर हो जाती है।
जाकिर हुसैन की बीमारी के बारे में डॉक्टर्स ने बताया कि उनका इलाज चल रहा था, लेकिन यह फेफड़ों की कैपेसिटी कम कर देती है। इसके बाद उन्हें सांस लेने में गंभीर समस्याएं होने लगीं।