कैसे करें नवरात्रि व्रत की पूर्णाहुति

By Team MyNation  |  First Published Apr 12, 2019, 7:58 PM IST

नवरात्रि व्रत कल यानी शनिवार संपन्न हो रहा है। कल अष्टमी और नवमी तिथियां एक साथ लग रही हैं। इसलिए जिन लोगों ने कलश स्थापना की है उनके लिए शनिवार को ही हवन कर लेना उचित होगा। 

हवन के लिए सर्वोत्तम मिट्टी का कुंड होता है। लोहे के कुंड में हवन करना उचित नहीं है। यदि मिट्टी का कुंड ना मिले तो तांबे के कुंड में हवन किया जा सकता है।  

हवन के लिए आम की लकड़ी, बेल, नीम, पलाश की लकड़ी, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पीपल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन की लकड़ी, तिल, जामुन की कोमल पत्ती, अश्वगंधा की जड़, तमाल यानी कपूर, लौंग, चावल, ब्राह्मी, कमल के बीज, गिलोय, नागदौन, गुड़ मुलेठी, बहेड़ा का फल और हर्रे तथा घी, शक्कर जौ, इंद्रजौ, तिल, गुगल, लोबान, इलायची एवं अन्य वनस्पतियों का चूर्ण उपयोग किया जाता है। 
 
हवन के लिए गाय के गोबर से बनी छोटी-छोटी कटोरियां या उपले घी में डुबोकर डाले जाते हैं। हवन से हर प्रकार के 94 प्रतिशत जीवाणुओं का नाश होता है, अत: घर की शुद्धि तथा सेहत के लिए प्रत्येक घर में हवन करना चाहिए। 
गाय के गोबर के उपले नहीं मिलें तो आम की लकड़ी का प्रयोग करें। 
हवन के साथ कोई मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ध्वनि तरंगित होती है, शरीर में ऊर्जा का संचार होता है अत: कोई भी मंत्र सुविधानुसार बोला जा सकता है।

लेकिन नवरात्रि के हवन में नवार्ण मंत्र का जाप सर्वोत्तम होता है। नवार्ण मंत्र और उसकी महिमा के बारे में हम पहले पोस्ट में बता चुके हैं।  

हवन करने से पूर्व स्वच्छता का ख्याल रखें। सबसे पहले रोज की पूजा करने के बाद अग्नि स्थापना करें फिर आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर जला दें। उसके बाद भगवान गणेश को (ऊँ गणेशाय नम:) मंत्र से पांच बार आहुति देकर हवन शुरू करें। 
 
फिर ऊँ कुल देवताय नम: स्वाहा
ऊँ स्थान देवताय नम: स्वाहा
ऊँ ब्रह्माय नम: स्वाहा
ऊँ विष्णुवे नम: स्वाहा
ऊँ शिवाय नम: स्वाहा
ऊँ जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा, स्वधा नमोस्तुते स्वाहा, 

इसके बाद गुरुमंत्र या नवार्ण मंत्र से एक सौ आठ (108) आहुतियां प्रदान करें। 
 
हवन के बाद सूखे नारियल के गोले में गुड़, पान का पत्ता और लाल कपड़ा लपेटकर हवनकुंड के बीचोबीच रख दे तथा पूर्ण आहुति मंत्र बोले- 'ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।'
 
पूर्ण आहुति के बाद यथाशक्ति दक्षिणा माता के पास रख दें, जिसे मंदिर में या फिर किसी निष्पाप विद्वान ब्राह्मण को दान कर दें। इस तरह आप सरल रीति से घर पर हवन संपन्न 

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