नई दिल्ली. देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट(Supreme court) को 3 महिला जज मिली हैं। SC के इतिहास में मंगलवार (31 अगस्त) का दिन यादगार बन गया। आज 9 जजों को एक साथ शपथ दिलाई गई। इनमें तीन महिला जस्टिस भी शामिल हैं। बता दें कि हाल में केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस(CJI) रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम की तरफ से भेजे गए सभी 9 नामों को मंजूरी दी थी। सुप्रीम कोर्ट में जिन तीन महिला जस्टिस को शपथ दिलाई गई, वे वीबी नागरत्ना, हिमा कोहली और बेला त्रिवेदी हैं। जानिए इन जजों के बारे में कुछ खास बातें..
- जस्टिस बीवी नागरत्ना: ये 2008 में कर्नाटक हाईकोर्ट में एडिशनल जज बनाई गई थीं। 2 साल बाद उन्हें परमानेंट जज बना दिया गया था। नागरत्ना फेक न्यूज को लेकर 2012 में अपने निर्णय के कारण चर्चा में आई थीं। उन्होंने अन्य जजों के साथ मिलकर केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि वो मीडिया ब्रॉडकास्टिंग को रेगुलेट करने की संभावनाएं तलाशे। जस्टिस नागरत्ना 2027 में देश की पहली महिला चीफ जस्टिस भी बन सकती हैं।
- जस्टिस हिमा कोहली: ये इससे पहले तेलंगाना हाईकोर्ट की जज थीं। ये तेलंगाना हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस बनने वाली पहली महिला जज भी रहीं। दिल्ली हाईकोर्ट में भी जज रही हिमा भारत में लीगल एजुकेशन और लीगल मदद से जुड़े अपने फैसलों के चर्चित रही हैं। जब वे दिल्ली हाईकोर्ट में जज थीं, तब दृष्टि बाधित लोगों को सरकारी शिक्षण संस्थानों में सुविधाएं दिए जाने का ऐतहासिक फैसला सुनाया था। नाबालिग आरोपियों की पहचान की सुरक्षा को लेकर भी उनका फैसला काफी चर्चित रहा था।
- जस्टिस बेला त्रिवेदी (बेला मनधूरिया): ये गुजरात हाईकोर्ट में 9 फरवरी 2016 से जज थीं। इससे पहले 2011 में इसी हाईकोर्ट में एडिशनल जज रहीं। ये राजस्थान हाईकोर्ट में भी एडिशनल जज रही हैं।
- जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका: ये बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल और फिर उसके बाद परमानेंट जज बनाए गए थे। ओका 2019 में कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। ये सिविल, कॉन्स्टिट्यूशनल और सर्विस मैटर के मामलों के गहरे जानकार माने जाते हैं। जब ये कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे, तब लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा और राज्यों के गलत फैसलों को लेकर की गईं टिप्पणियों के कारण चर्चाओं में आए थे।
- जस्टिस विक्रम नाथ: ये गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे। नाथ इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज भी बनाए गए थे। इनका नाम आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए चला था, लेकिन केंद्र ने इस सिफारिश को नामंजूर कर दिया था। 2020 में जब उन्हें चीफ जस्टिस बनाया गया, तब कोरोना अपने पैर पसार चुका था। ऐसे में उन्होंने हाईकोर्ट में वर्चुअल कार्यवाही की शुरुआत की। जो अब मील का पत्थर साबित हो रही है।
- जस्टिस पीएस नरसिम्हा: ये बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाले देश के नौंवें जज हैं। इनके 2028 में चीफ जस्टिस बनने की संभावना भी है। अगर ऐसा संभव हुआ, तो बार से अपॉइंट होने के बाद चीफ जस्टिस बनने वाले वे तीसरे न्यायाधीश होंगे। ये 2014 से 2018 तक एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं। ये इटली नौसेना मामले, जजों से जुड़े NJAC केस देख चुके हैं। BCCI के प्रशासनिक कार्यों से जुड़े विवादों को सुलझाने की जिम्मेदारी इन्हें ही सौंपी गई थी।
- जस्टिस एमएम सुंदरेश: ये केरल हाईकोर्ट के जज थे। इन्होंने 1985 में वकालत शुरू की थी। इन्होंने चेन्नई से बीए किया और फिर मद्रास लॉ कॉलेज से लॉ की डिग्री हासिल की थी।
- जस्टिस जितेंद्र कुमार माहेश्वरी: ये सिक्किम हाईकोर्ट और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रह चुके हैं। इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जज थे। मध्य प्रदेश के जौरा में जन्मे माहेश्वरी ने ग्वालियर में लंबे समय तक वकालात की। माहेश्वरी ने मध्य प्रदेश की मेडिकल फैसिलिटीज में खामियों पर पीएचडी की थी।
- जस्टिस सीटी रवि: ये केरल हाईकोर्ट में जज रह चुके हैं। इनके पिता मजिस्ट्रियल कोर्ट में बेंच क्लर्क थे। न्याय व्यवस्था में सुस्ती पर इनका कमेंट काफी चर्चा में आया था। 2013 में भ्रष्टाचार के एक मामले की सुनवाई के दौरान इन्होंने कमेंट किया था कि कानून की उम्र लंबी होती है, लेकिन जिंदगी की नहीं।
अभी तक कोई महिला चीफ जस्टिस नहीं बनी
भारत के इतिहास में अभी तक कोई भी महिला चीफ जस्टिस की कुर्सी तक नहीं पहुंची है। इन नियुक्तियों से पहले सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ एक महिला जज बची थीं। पिछले दिनों दूसरी महिला जज इंदु मल्होत्रा रिटायर हो चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट में जजों के कुल 34 पद हैं। अब इन नियुक्तियों के बाद 33 पद भर गए।
इंद्रा बनर्जी अगले साल रिटायर हो रही हैं
जस्टिस इंदु मल्होत्रा पहले ही रिटायर हो चुकी हैं, जबकि जस्टिस इंद्रा बनर्जी अगले साल रिटायर हो रही हैं। ये 2018 में नियुक्त हुई थीं। बता दें कि1989 में नियुक्त जस्टिस फातिमा बीवी सुप्रीम कोर्ट की पहली, जबकि न्यायमूर्ति सुजाता वी मनोहर दूसरी जस्टिस थीं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था। सुजाता को 1994 में सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था। न्यायाधीश रूमा पाल 2000 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुई थीं।
क्या है कॉलेजियम
यह जस्टिस की नियुक्ति और ट्रांसफर की प्रणाली है, जो संसद के किसी अधिनियम या संविधान के प्रावधान द्वारा स्थापित न होकर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के माध्यम से विकसित हुई है।