UPSC Success Story: 2 साल के बेटे को छोड़ पिता बन गए थे संत, ऐसी है UPSC 2020 क्रैक करने वाले किसलय की कहानी

By Team MyNation  |  First Published Nov 6, 2021, 4:16 PM IST

किसलय कुशवाहा (Kislay Kushwah) ने UPSC 2020 में 526वीं रैंक हासिल की। जिसके बाद उन्हें भारतीय रक्षा संपदा संवर्ग दिया गया है। मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले किसलय कुशवाहा जिनकी सफलता का सफर काफी संघर्ष भरा रहा।

नई दिल्ली। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में पास होकर किसलय कुशवाह (Kislay Kushwah) ने 526 वां रैंक हासिल किया। ये उनका चौथा अटेम्पट था, जिसको पास कर उन्होंने (UPSC) की सीट अपने नाम कर ली। जिसके बाद उन्हें भारतीय रक्षा संपदा संवर्ग दिया गया है। मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले Kislay Kushwah ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया। किसलय ने अपनी 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई मुहम्मदाबाद से की। वाराणासी स्थित सनबीम स्कूल से 9 और 12 की शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद इंजीनियरिंग की परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए कोटा चले गए। वहां पर पढ़ाई करने के दौरान उनका नंबर IIT Delhi में आ गया। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने एनटीपीसी में नौकरी की और साथ में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में जुट गए। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने किसलय कुशवाह से बातचीत की। आइए जानते हैं किसलय कुशवाहा की सक्सेज सर्नी।

दो साल की उम्र में पिता ने छोड़ा हाथ, बेटे ने UPSC क्रैक कर बढाया मान

उत्तर प्रदेश के मोहम्मदाबाद, गाजीपुर निवासी किसलय कुशवाहा जब सिर्फ दो साल के थे, तभी उनके पिता सदानंद कुशवाहा घर छोड़कर संत बन गए थे। उनके पिता करीब 20 सालों से हनुमान मंदिर सहनिंदा ग्राम के पुजारी का काम संभाला हुआ है। पिता के जाने के बाद किसलय कुशवाह का पालन पोषण उनकी मां शारदा देवी ने किया। समय के साथ किसलय की प्रखरता उनके परिजनों ने पहचानी और पढ़ाई करने का पूरा मौका दिया। उसी किसलय कुशवाह ने यूपीएससी 2020 में सफलता हासिल कर अपने परिजनों का मान बढ़ाया। उनकी यूपीएसी परीक्षा में 526वीं रैंक आयी। जिसके बाद उन्हें भारतीय रक्षा संपदा सेवा संवर्ग दिया गया।

चौथे अटेम्पट में मिली सफलता

यूपीएससी में किसलय का यह चौथा अटेम्पट था। उन्होंने पहला अटेम्पट 2017 में किया था। तब उन्होंने प्रीलिम्स क्वालिफाई किया। वर्ष 2018 में भी वह मेंस तक गए। पर उससे आगे बढ नहीं सके। 2019 में भी वो क्वालीफाई नहीं कर पाए। वह समय किसलय के लिए निराशा से भरा था। पर यहीं से किसलय ने असफलता को स्वीकारना सीखा। अपनी कमियों को चिन्हित किया और उन्हें सुधार कर आगे बढें और अपने चौथे प्रयास  में यूपीएससी 2020 की परीक्षा ke रिजल्ट में अपनी जगह बनायी।

सिविल सर्विस में जाने की जिद में छोड़ी नौकरी

किसलय की कक्षा आठवीं तक की पढाई मुहम्मदाबाद से ही हुई। कक्षा 9 से 12 तक वाराणसी स्थित सनबीम स्कूल से शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद इंजीनियरिंग परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोटा चले गए। वहां पढाई के दौरान उनका चयन आईआईटी दिल्ली में हुआ। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने एनटीपीसी में नौकरी की और साथ में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में लगे रहे। उनकी सिविल सर्विस ज्वाइन करने की जिद ही थी कि उन्होंने एक साल तक नौकरी करने के बाद घर वालों को अपनी चाहत से अवगत कराया और फिर नौकरी छोड़कर पूरी तरह यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में जुट गएं।

ग्रेजुएशन के बाद किया तय

किसलय ने आईआईटी दिल्ली से ग्रेजुएशन के दौरान जाना कि जॉब के क्या क्या अवसर हैं, यहां हम अपनी योग्यता के लिहाज से बेहतर परफार्मेंस कर सकते हें। उनका कहना है कि समाज को समझना, खुद को आंकना कि हमारी क्वालिटी क्या है। हमारी रूचि किस चीज में है, जो करना हमें अच्छा लगता है और फिर उन चीजों का विश्लेषण कर मैंने तय किया कि यूपीएससी के लिए प्रयास करना चाहिए। सिविल सर्विस में काफी अच्छे अवसर हैं, सोशल प्रेस्टीज है। खास बात यह है कि इस जाब में इंफार्मेशन बहुत ज्यादा मिलती है। यह सीख पाना और कुछ कर पाना दूसरी सर्विस में नहीं है। यदि आप किसी विशेष प्रोफेशन मे हैं तो आप उक्त प्रोफशन के क्षेत्र में ही काम करेंगे। पर प्रशासनिक सेवा में विविधता है। इन्हीं सब वजहों से किसलय ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी का फैसला लिया था।

संघर्ष का असर मानसिकता पर नहीं पड़े

किसलय के बार बार प्रयास के बाद भी असफल होने पर उन्हें निराशा होती थी। पर उसे हैंडल कैसे करना है, उन्होंने समय के साथ इसके गुण सीखे। उनका कहना है कि इसके लिए मानसिक स्तर पर परिपक्वता होनी चाहिए। चौथे अटेम्पट में बहुत संघर्ष रहा। पूरा प्रयास करना चाहिए कि संघर्ष का असर मानसिकता पर नहीं पड़े। संघर्ष के दरम्यान खुद को शांत करने की कोशिश करता था। यह कोशिश भी करना चाहिए कि असफलता का असर खुद पर नहीं पड़े।
 

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