लड़का-लड़की में लैंगिक समानता (Gender Eqality) के लिए केरल के एक लोअर प्राइमरी स्कूल (Lower Primary School) ने अच्छी पहल की है। यहां सभी के लिए एक ही यूनिफॉर्म लागू की गई है।
कोच्चि। देश में लैंगिक समानता लाने की मुहिम तेजी से चल रही है। इसके लिए शौचालय बनाने, अपराध रोकने जैसे मुद्दे आम बात हो गए हैं। लेकिन इन सबसे आगे बढ़ते हुए केरल का एक स्कूल नया आयडिया (New Idea) लेकर आया है। यहां लड़के-लड़कियों (Boys- Girls) के लिए एक ही यूनिफॉर्म (Uniform) का कल्चर शुरू किया गया है। स्कूल के इस आयडिया का समर्थन राज्य सरकार ने भी किया है। सरकार ने ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देने का फैसला किया है।
यह स्कूल केरल के एर्नाकुलम (ernakulam)जिले के पेरुम्बवूर के पास है। वलयनचिरंगारा सरकारी लोअर प्राइमरी (LP) स्कूल ने सभी छात्र-छात्राओं के लिए नई यूनिफॉर्म में घुटनों तक की पैंट (Shorts) और शर्ट (Shirt)तय की है। इस स्कूल में 754 स्टूडेंट हैं। यहां के शिक्षक बताते हैं कि नए ड्रेस कोड का प्लान 2018 में बना था। इसे निम्न वर्ग में शुरू किया गया था। अब कोविड-19 (Covid 19) के बाद स्कूल फिर से खुलने पर इसे सभी छात्रों के लिए लागू कर दिया गया।
सभी को एक जैसी स्वतंत्रता देना मकसद
अभिभावक-शिक्षक संघ (पीटीए) के अध्यक्ष विवेक कहते हैं - मैं यह ड्रेस कोड लागू करने वाली समिति में था। हमें छात्रों और उनके अभिभावकों का समर्थन मिला। हम चाहते थे कि सभी छात्रों की यूनिफॉर्म एक जैसी हो, ताकि तभी को एक समान स्वतंत्रता मिले। वे बताते हैं कि सबसे पहले इसे प्री प्राइमरी क्लास में लागू किया गया। इसमें करीब 200 स्टूडेंट हैं। इसे वहां भरपूर समर्थन मिलने के बाद बाकी कक्षाओं के लिए भी ही यही यूनिफॉर्म तय कर दी गई।
शिक्षा मंत्री ने कहा- यह पाठ सबको याद रहेगा
राज्य के शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने स्कूल को बधाई दी। उन्होंने कहा - पाठ्यक्रम सुधार के दौरान लैंगिक न्याय, समानता और जागरूकता के विचारों पर जोर दिया जाएगा। इन पाठों को केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित रखने की जरूरत नहीं है। वलयनचिरंगारा एलपी स्कूल का यह सराहनीय कदम है, जिसके तहत सभी छात्र-छात्राएं अब यहां एक जैसी वेशभूषा- शॉर्ट पैंट और शर्ट पहनेंगे।'' उन्होंने कहा कि समाज में इस बात पर चर्चा शुरू करने की जरूरत है कि क्या हमें लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग स्कूल अब भी जारी रखने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता और न्याय को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।