खेतों में काम करने वाली मुस्लिम लड़की ने रचा इतिहास, बकरियां चराने वाली अनीसा बानो बनी कमाल की क्रिकेटर

By Team MyNationFirst Published Sep 7, 2021, 4:04 PM IST
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राजस्थान से ऐसी एक होनाहार और कामयाब लड़की की कहानी सामने आई है, जिसने अपने मेहनत की दम पर इतिहास रच दिया है। आज लोग उसको सैल्यूट कर रहे हैं। बधाई देने वालों का उसके घर पर तांता लगा हुआ है।

बाडमेर (राजस्थान). कुछ करने का जज्बा हो तो आप को आगे बढ़ने से कोई ताकत नहीं रोक सकती है। चाहे फिर हालात कैसे ही क्यों ना हो। क्योंकि जिंदादिल वही होते हैं जो मुश्किल से बाहर निकलकर कामयाबी की राह अपनाते हैं। राजस्थान से ऐसी एक होनाहार और कामयाब लड़की की कहानी सामने आई है, जिसने अपने मेहनत की दम पर इतिहास रच दिया है। आज लोग उसको सैल्यूट कर रहे हैं। बधाई देने वालों का उसके घर पर तांता लगा हुआ है।  पढ़िए एक बहादुर और जिंदादिल लड़की की कहानी...

दरअसल, सफलता की यह कहानी बाड़मेर जिले के कानासर गांव की एक मुस्लिम लड़की की है। जिसका नाम अनीसा बानो मेहत है। जिसका सिलेक्शन  चैलेंजर क्रिकेट ट्रॉफी-19 में हुआ है। वह बतौर फास्ट गेंदबाज  स्टेट टीम के लिए क्रिकेट खेलेंगी। इतना ही नहीं चयनकर्ताओं ने 27 अगस्त को जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम में उसका ट्रायल भी देखा।

अनीसा बानो की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। वह अपने स्कूल से लौटकर भेड़-बकरियां चराने निकल जाती थी। उसे बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। खेत में वह अकेली ही गेंदबाजी की  प्रैक्टिस करती रहती थी। इतना ही नहीं घर आकर भी वह कॉलोनी के बच्चों के साथ क्रिकेट खेलने लग जाती थी।

क्रिकेट के प्रति अनीसा बानों की दीवानगी ऐसी थी कि गांव में जब कभी लड़कों का मैच होता तो वह बाउंड्री के पास बैठकर पूरा खेल देखती थी। वह बनना तो क्रिकेटर चाहती थी, लेकिन घर की हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि उसका सपना पूरा हो पाता।

क्रिकेट के प्रति अनीसा बानों की दीवानगी ऐसी थी कि गांव में जब कभी लड़कों का मैच होता तो वह बाउंड्री के पास बैठकर पूरा खेल देखती थी। वह बनना तो क्रिकेटर चाहती थी, लेकिन घर की हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि उसका सपना पूरा हो पाता। इतना ही नहीं  जब भारतीय क्रिकेट टीम का कोई मैच होता तो वह अपने पिता के साथ टीवी पर क्रिकेट देखती थी। अनीसा ने बताया कि मैंने कठिन परिस्थितियों में भी खुद पर भरोसा रखा और उसी को ताकत बनाया। अब राजस्थान क्रिकेट टीम में चयन होना किसी सपने से कम नहीं है। एक दिन में भारत की टीम का हिस्सा बनूंगी।

बता दें कि अनीसा के पिता याकूब खान वकील हैं। उनका कहना है कि हमने कई बार अनीसा को समझाया था कि पढ़ाई कर, ना कि क्रिकेट खेले। लेकिन वह नहीं मानती थी। गांव के लोग और रिश्तेदार ताना मारते थे कि बेटी की शादी कर दो कहां वह लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती है। लेकिन उसके जुनून ने आज उसका सपना पूरा कर दिया है। अनीसा फिलहाल हायर सेकेंडरी की पढ़ाई कर रही है।

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