भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में अब तक चार मैच खेले हैं, इनमें से तीन मैचों में उसे जीत मिली है। न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबला बारिश की भेंट चढ़ गया था। भारत ने अभी तक दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान को शिकस्त दी है।
इंग्लैंड में खेले जा रहे 2019 वर्ल्डकप में टीम इंडिया को सबसे संतुलित टीम माना जा रहा है। खिताब की प्रबल दावेदारों में से एक में शामिल भारतीय टीम का प्रदर्शन हर मैच के साथ निखरता जा रहा है। भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में अब तक चार मैच खेले हैं, इनमें से तीन मैचों में उसे जीत मिली है। न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबला बारिश की भेंट चढ़ गया था। भारत ने अभी तक दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान को शिकस्त दी है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि टीम इंडिया की सफलता का मूलमंत्र क्या है। तो इसका जवाब है 'बांडिंग।' मैदान के भीतर विरोधियों के छक्के छुड़ाने वाले विराट के वीर मैदान के बाहर भी अधिकांश समय साथ बिताकर आपसी तालमेल बढ़ा रहे हैं।
भारतीय टीम प्रबंधन ने टीम के आपसी तालमेल को बढाने के लिए कई गतिविधियां तय की है, जिससे दोहरे फायदे हो रहे हैं। पहला कि खेल से थोड़ा ब्रेक मिल रहा है और दूसरा मैदानी प्रदर्शन में निखार के लिये मैदान के बाहर की दोस्ती भी जरूरी है।
भारतीय टीम इन ‘बांडिंग ’सत्रों में बढ़ चढ़कर हिस्सा भी ले रही है । इसमें कोई मजेदार खेल या साथ में भोजन करना शामिल है। विश्व कप से पहले भारतीय टीम ने पेंटबाल खेला था और अब अफगानिस्तान के खिलाफ शनिवार के मैच से पहले भी ब्रेक है जिसमें आपसी तालमेल बढाने के लिये कई गतिविधियां होनी है।
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— BCCI (@BCCI)बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने कहा ,‘भारतीय टीम में पिछले कुछ साल से इस तरह के सत्र हो रहे हैं । इसमें रोचक खेल या कुछ और गतिविधि शामिल है । फिलहाल खिलाड़ी अपने परिवार के साथ ब्रेक पर है । उनके आने के बाद ऐसी गतिविधियां होंगी ।’
विराट कोहली टीम के कप्तान है जिसमें ‘लीडरशिप ग्रुप’ में कोहली , रोहित शर्मा और महेंद्र सिंह धोनी हैं । कई बार 15 या 12 खिलाड़ियों को चार के ग्रुप में बांट दिया जाता है और तीनों सीनियर खिलाड़ी एक एक ग्रुप में होते हैं।
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अधिकारी ने कहा ,‘इस पर जोर दिया जाता है कि अलग अलग क्षेत्रों के खिलाड़ी साथ में घूमे और खाना खाए। मसलन विजय शंकर टीम का सबसे नया सदस्य है और तमिलनाडु का होने के कारण वह दिनेश कार्तिक के साथ सहज महसूस करेगा । लेकिन कई बार कार्तिक को किसी दूसरे जूनियर खिलाड़ी के साथ भी खाना पड़ सकता है। यह जबरिया नहीं है लेकिन सहज होना चाहिए।’
अतीत में भी भारतीय टीम में ऐसे सत्र हुआ करते थे ।सत्तर के दशक में इंग्लिश काउंटी के समान संडे क्लब होते थे जिसमें खिलाड़ी खास परिधान पहनकर खास सीन की नकल किया करते थे । इसमें अंडरवियर पहनकर और कमर पर टाई बांधकर अपने कमरे से टीम के कामन रूम तक जाना शामिल था। कई बार किसी खिलाड़ी को लिपस्टिक लगाकर ‘शोले की बसंती ’ की तरह थिरकना होता था ।
गैरी कर्स्टन के समय में यह और भी रोचक था। पैडी उपटन ने अपनी किताब ‘बेयरफुट कोच’ में वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर की लड़कियों के कपड़े पहने वाली तस्वीरें डाली हैं। नब्बे के दशक के बीच से 2000 की शुरूआत तक इस तरह के सत्र नहीं हुआ करते थे क्योंकि उस समय खिलाड़ियों के बीच आपस में इतना विश्वास नहीं था। (इनपुट पीटीआई से भी)