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600 साली पुरानी फड़ चित्रकला में दिखाई Covid 19 और Tokyo Olympics की झलक; जानिए इस कला के बारे में

Team MyNationUpdated : Aug 06 2021, 07:12 PM IST

जयपुर. इन दिनों टोक्यो में ओलंपिक (Tokyo Olympics) चल रहे हैं। इनका समापन 8 अगस्त को होगा। इस बार भारतीय खिलाड़ियों ने खेल का बेहतर प्रदर्शन किया है। खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने सारा देश इस समय एकजुट है। खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की ऐसी ही एक मुहिम राजस्थान के प्रसिद्ध फड़ चित्रकार कल्याण जोशी ने की है। उन्होंने Tokyo Olympics से जुड़ीं कई पेंटिंग्स बनाई हैं। जो खिलाड़ियों का हौसला और खेल भावना प्रदर्शित करती हैं। कल्याण जोशी ने कोरोना का मुद्दा भी अपनी पेंटिंग्स में उठाया है। वे चित्रों के जरिये लोगों को कोरोना से सतर्क रहने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

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600 साली पुरानी फड़ चित्रकला में दिखाई Covid 19 और Tokyo Olympics की झलक; जानिए इस कला के बारे में

बता दें कि राजस्थान के भीलवाड़ा क्षेत्र में कपड़े की पृष्ठभूमि पर लोक देवता देवनारायण और पाबूजी आदि के जीवन पर आधारित और उनकी शौर्य गाथाओं को दिखाने वाली पेंटिंग्स को फड़ कहते हैं। ये पारंपरिक अनुष्ठानिक कुंडलित चित्र पड़ भी कहलाते हैं।

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ये चित्र सिर्फ कला नहीं है, इन्हें कलाकार पूजते हैं। इसलिए इनकी पूजा-अर्चना भी होती है। प्रतिदिन इन्हें धूप-अगरबत्ती लगाई जाती है। इन्हें पवित्र स्थानों पर रखा जाता है। एक बार जब इन्हें खोलते हैं, तो फिर बंद नहीं करते।

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भीलवाड़ा के रहने वाले प्रसिद्ध फड़ कलाकार कल्याण जोशी कहते हैं कि स्कूल स्तर से ही खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने इस बार ये पेंटिंग्स बनाई हैं। वहीं, कोरोन संक्रमण से बचने सबको जागरूक करने की जरूरत है।

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1969 में जन्मे कल्याण जोशी 13 वीं शताब्दी के फड़ चित्रकारों के वंश से आते हैं। इन्होंने अपने पिता पद्मश्री लाल जोशी से ये कला तब से सीखना शुरू की थी, जब ये 8 साल के थे। ये अंकन आर्टिस्ट्स ग्रुप के संस्थापक हैं। वहीं, कल्याण भीलवाड़ा में आर्ट स्कूल व चित्रशाला भी चलाते हैं। इन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें यूनेस्को भी सम्मानित कर चुका है।

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फड़ चित्रकला मूलत: भीलवाड़ा और शाहपुरा से निकली। इनका इतिहास करीब 600 साल पुराना है। यह मेवाड़ कला शैली का अपग्रेड रूप है।
(File Photo)