कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर कैसे इस व्यक्ति ने 30,000 किसानों को बना दिया करोड़पति?
Surya Prakash Tripathi |
Published : Mar 27, 2025, 03:19 PM IST
जानिए कैसे एक पूर्व कॉर्पोरेट कर्मचारी सुहास बाली ने 30,000 से अधिक किसानों को विदेशी सब्जियों की खेती से 4 गुना अधिक कमाई करने में मदद की। उनकी अनोखी कृषि रणनीतियों ने छोटे किसानों की तकदीर बदल दी।
Farming Success Story: आज जब खेती को घाटे का सौदा कहा जाता है, एक पूर्व कॉर्पोरेट कर्मचारी सुहास बाली ने इसे कमाई का सुनहरा अवसर बना दिया। सुहास ने महाराष्ट्र के विदर्भ में विदेशी सब्जियों की खेती शुरू की और इसकी आधुनिक तकनीकों से 30,000 से ज्यादा किसानों की आमदनी 4 गुना तक बढ़ाने में मदद की। आइए जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी।
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कॉर्पोरेट से खेती तक: सुहास बाली की अनोखी यात्रा
विदर्भ के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले सुहास बाली ने एमबीए पूरा करने के बाद कॉर्पोरेट दुनिया में कदम रखा। लेकिन चार साल तक नौकरी करने के बाद, उन्होंने खेती को अपनी असली मंज़िल बना लिया और 2018 में अपने परिवार की 30 एकड़ जमीन पर विदेशी सब्जियों की खेती शुरू की।
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उन्होंने पारंपरिक खेती के बजाय ब्रोकली, चेरी टमाटर, आइसबर्ग लेट्यूस, शिमला मिर्च, और लाल गोभी जैसी विदेशी सब्जियों की ओर रुख किया। शुरुआत में लोगों ने उनकी इस पहल का मज़ाक उड़ाया, लेकिन जब उन्होंने पारंपरिक खेती के मुकाबले 4 गुना ज्यादा मुनाफा कमाया, तो सब हैरान रह गए।
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कैसे विदेशी सब्जियों ने बढ़ाई किसानों की आमदनी?
सुहास ने बताया कि पारंपरिक फसलें जैसे सोयाबीन और कपास प्रति एकड़ 25,000 रुपये तक की कमाई देती हैं, जबकि विदेशी सब्जियों से एक ही सीज़न में प्रति एकड़ 8 लाख रुपये तक की आमदनी संभव है।
उदाहरण के लिए, लाल गोभी की फसल में एक एकड़ से 8,000 किलो उत्पादन होता है, जिसका बाजार मूल्य 80-100 रुपये प्रति किलो तक होता है। इसी तरह, शिमला मिर्च और ब्रोकली भी उच्च मांग के कारण बेहतर दाम दिलाते हैं।
विदेशी खेती को सफल बनाने के लिए सुहास ने पॉलीहाउस तकनीक और ड्रिप सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाया। इससे पानी की बचत हुई और फसलों की उत्पादकता बढ़ी। उनकी इस तकनीक को अब हजारों किसान अपना रहे हैं।
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कैसे जुड़े 30,000 से अधिक किसान?
सिर्फ अपनी खेती तक सीमित रहने के बजाय, सुहास ने 2021 में ‘रुद्रायणी एग्रो इंडिया’ नामक किसान उत्पादक संगठन (FPO) की स्थापना की। इस संगठन के जरिए उन्होंने हजारों किसानों को विदेशी सब्जियों की खेती का प्रशिक्षण दिया और उन्हें मुंबई, पुणे और बेंगलुरु जैसे बड़े बाजारों तक सीधा पहुंच दिलाई।
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छोटे किसान भी कमा रहे हैं लाखों!
विदर्भ के किसान स्वप्निल कोकरे, जो पहले केवल गन्ने की खेती करते थे, अब विदेशी सब्जियों की खेती से सालभर में 4 गुना ज्यादा कमा रहे हैं। पहले वे 1.5 साल में 3 लाख रुपये कमाते थे, लेकिन अब वे सिर्फ दो महीने में इतनी ही कमाई कर लेते हैं।
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सुहास बाली की सफलता का राज़ क्या है?
1. परंपरागत खेती से अलग हटकर नई संभावनाओं को अपनाना।
2. पॉलीहाउस, ड्रिप सिंचाई और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल।
3. बड़े बाज़ारों से सीधा जुड़कर अपनी फसल की कीमत बढ़ाना।
4. दूसरे किसानों को सशक्त बनाकर सामूहिक विकास को बढ़ावा देना।
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क्या आप भी कर सकते हैं यह खेती?
अगर आपके पास 1-2 एकड़ जमीन भी है, तो आप ब्रोकली, शिमला मिर्च, आइसबर्ग लेट्यूस जैसी विदेशी फसलें उगाकर लाखों कमा सकते हैं। सुहास का मानना है कि अगर सही फसल और सही तकनीक का चुनाव किया जाए, तो खेती से भी करोड़ों कमाए जा सकते हैं।