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बिना कोचिंग, बिना लैपटॉप! सुरक्षा गार्ड के बेटे ने कैसे क्रैक किया UPSC? बस इस जिद ने बना दिया अफसर

Surya Prakash Tripathi |  
Published : Mar 28, 2025, 04:38 PM IST

UPSC Inspirational Journey: कुलदीप द्विवेदी की प्रेरणादायक यूपीएससी यात्रा, संघर्ष और सफलता की कहानी। जानिए कैसे एक सुरक्षा गार्ड के बेटे ने असफलताओं को पार कर IRS अधिकारी बनने का सपना साकार किया।

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बिना कोचिंग, बिना लैपटॉप! सुरक्षा गार्ड के बेटे ने कैसे  क्रैक किया UPSC? बस इस जिद ने बना दिया अफसर

भारत में लाखों युवा UPSC परीक्षा पास करने का सपना देखते हैं, लेकिन हर किसी के पास संसाधन, कोचिंग या आर्थिक स्थिरता नहीं होती। कुलदीप द्विवेदी की सफलता की कहानी इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।

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एक छोटे से गांव के से शिखर तक पहुंचने का सफर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ अंतर्गत शेखपुर गांव में जन्मे कुलदीप के पिता सूर्यकांत एक सुरक्षा गार्ड थे, जिनका वेतन मात्र ₹6,000 था। उनकी माँ गृहिणी थीं। एक छोटे से कमरे में रहने वाले इस परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, लेकिन शिक्षा के प्रति उनके माता-पिता का समर्पण अटूट था।

 

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हिंदी मीडियम के स्टूडेंट ने कर दिखाया कमाल

कुलदीप ने हिंदी माध्यम से पढ़ाई की, जो बाद में उनके लिए एक चुनौती बनी। जबकि उनके चचेरे भाई अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ते थे, कुलदीप को संसाधनों की कमी के साथ आगे बढ़ना पड़ा।

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किराये के कमरे में बिना कोचिंग और महंगी किताबों के शुरू की तैयारी

पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री के बाद कुलदीप ने UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली का रुख किया। मुखर्जी नगर में किराए के एक छोटे से कमरे में रहकर उन्होंने आत्मनिर्भरता के साथ पढ़ाई की। उनके पास न कोचिंग का पैसा था, न लैपटॉप और न ही महंगी किताबें खरीदने का साधन। हालांकि, उन्होंने इन कठिनाइयों को अपनी सफलता की राह में रोड़ा नहीं बनने दिया। दोस्तों से किताबें उधार लेकर, इंटरनेट कैफे में पढ़ाई करके और खुद पर विश्वास रखकर उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी।

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पहली बार प्रीलिम्स भी नहीं निकला!

कुलदीप का पहला प्रयास असफल रहा - वे प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर पाए। दूसरे प्रयास में उन्होंने प्रीलिम्स पास किया लेकिन मेंस में असफल रहे।

 

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2 बार असफल होने के बाद भी नहीं मानी हार

अक्सर 2 बार असफल होने के बाद लोग हार मान लेते हैं, लेकिन कुलदीप ने अपने सपनों को टूटने नहीं दिया। उनके पिता ने बिना UPSC को समझे भी अपने बेटे पर विश्वास बनाए रखा और उन्हें फिर से प्रयास करने के लिए प्रेरित किया।

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कुलदीप द्विवेदी ने तीसरे प्रयास में मिली सफलता

तीसरी बार में कुलदीप ने अखिल भारतीय रैंक 242 हासिल कर भारतीय राजस्व सेवा (IRS) में अपनी जगह बनाई। यह सिर्फ़ उनकी सफलता नहीं थी, बल्कि उनके परिवार, दोस्तों और समर्थकों के त्याग का भी फल था।

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सीखने योग्य सबक
  • असफलता अंतिम नहीं होती – कुलदीप ने दो असफलताओं के बाद भी हार नहीं मानी।

  • संसाधन सीमित हों, तो भी सफलता संभव है – बिना कोचिंग, लैपटॉप और महंगे संसाधनों के भी UPSC संभव है।

  • समर्थन प्रणाली महत्वपूर्ण है – परिवार और दोस्तों का समर्थन आपको मुश्किल समय में आगे बढ़ाता है।

 

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इरादे मजबूत हों, तो नहीं रोक सकती कोई बाधा

कुलदीप द्विवेदी की कहानी उन लाखों UPSC उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा है, जो संसाधनों की कमी के बावजूद अपने सपनों को नहीं छोड़ना चाहते। उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि अगर आपके इरादे मजबूत हैं, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती।

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