निधि निवेदिता: संघर्ष, विवाद और एक सशक्त आईएएस अधिकारी की कहानी
मध्य प्रदेश कैडर की 2012 बैच की आईएएस अधिकारी निधि निवेदिता आज भारतीय प्रशासनिक परिदृश्य में एक मजबूत हस्ती के रूप में जानी जाती हैं। उनकी पहचान एक ऐसे अधिकारी की है, जो गवर्नेंस के प्रति कठोर दृष्टिकोण और भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस रखती हैं। हालांकि, उनका करियर कई हाई-प्रोफाइल विवादों से भी गुज़रा है, जिसने उन्हें राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया।
प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
1. जन्मस्थल: झारखंड के सिंदरी में एक मध्यमवर्गीय परिवार।
2. बचपन: शिक्षा के प्रति रुझान, लेकिन समाज की संकीर्ण अपेक्षाओं का सामना।
3. मां का सहयोग: परिवार के सीमित संसाधनों और सामाजिक पूर्वाग्रहों के बावजूद, मां ने उनका हौसला बनाए रखा।
सामाजिक बाधाओं पर विजय
छोटी उम्र से ही निधि को बार-बार यह सुनना पड़ा कि एक लड़की होने के कारण उनकी संभावनाएं सीमित हैं।
1. लड़कियों पर संदेह: “शादी और घर संभालना ही उनका भविष्य है” जैसी बातें
2. दृढ़ संकल्प: इन धारणाओं को गलत साबित करने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की
3. मां की भूमिका: आलोचनाओं के बीच भी निधि की मां ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया
शिक्षा और सिविल सेवा का सफ़र
1. शिक्षा में उत्कृष्टता: निधि ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सिविल सर्विसेज़ में जाने का फैसला किया।
2. UPSC सफलता (2012): यह उनका सबसे बड़ा मील का पत्थर था, जिसका श्रेय वह अपनी माँ को देती हैं।
प्रमुख विवाद और चर्चित कार्यशैली
1. भ्रष्टाचार पर सख़्त रुख: शौचालय निर्माण फंड में गड़बड़ी करने वाले पंचायत सचिव को दंडित किया, जिसके लिए उन्हें सराहना और आलोचना दोनों मिली।
2. राजगढ़ का प्रकरण: एक छोटी बच्ची की जान बचाने के लिए रक्तदान करके उन्होंने अपने दयालु पक्ष को दिखाया।
3. जनहित कार्य: अपने सख्त प्रशासनिक फैसलों के साथ मानवीय दृष्टिकोण रखने के लिए भी जानी जाती हैं।
व्यक्तिगत पहलू और दयालु नेतृत्व
1. समुदाय में भरोसा: ज़रूरतमंदों की मदद के लिए आगे आना, रक्तदान करना।
2. महिला सशक्तिकरण का उदाहरण: सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने IAS बनकर समाज के सामने एक मिसाल पेश की।
3. मां से मिली सीख: शिक्षा ही परिवर्तन का सबसे शक्तिशाली साधन है।
IAS निधि निवेदिता की प्रेरक कहानी
IAS निधि निवेदिता की कहानी दृढ़ संकल्प, परिवार के सहयोग और सर्विस के प्रति समर्पण का प्रमाण है। झारखंड से लेकर मध्य प्रदेश तक, उन्होंने अनेक बाधाओं का सामना किया और उन्हें पार भी किया। उनकी प्रशासनिक दक्षता और मानवीय संवेदनशीलता उन्हें एक अलग मुकाम पर ले जाती है। आज वह न केवल एक सख़्त प्रशासक के रूप में जानी जाती हैं, बल्कि एक ऐसी अधिकारी के रूप में भी जिन्हें समाज के प्रति सहानुभूति और सेवा का जज़्बा विरासत में मिला है।
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