पहाड़ी चरवाहे के जरिए 3 मई को भारतीय सेना को पाकिस्तानियों की घुसपैठ की खबर मिली।
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चरवाहों से मिली सूचना की पुष्टि के लिए 5 मई को जब भारतीय जवानों की छोटी टुकड़ी वहां पहुंची तो पाकिस्तानियों ने बिना चेतावनी के उनपर हमला कर दिया। जिसमें पांच भारतीय जवान शहीद हो गए।
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पाकिस्तानी पूरी तैयारी से वहां आए थे, जबकि भारतीय जवानों की टीम मात्र पता लगाने के लिए पहुंची थी। इसलिए उनके पास जंगी साजो समान कम थे। इसलिए भारतीय पक्ष का गोला बारुद खत्म हो गया था।
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इस जंग में पाकिस्तान की तरफ से 5000 घुसपैठिए भारतीय सीमा में घुस आए थे। इसमें ज्यादातर पाकिस्तानी सेना के जवान थे।
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करगिल की पहाड़ियों को खाली कराने के लिए जल्दी ही घमासान लड़ाई छिड़ गई। जिसमें 527 भारतीय योद्धा शहीद हुए।
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पाकिस्तानी फौज ऊंचाई पर बैठकर गोलियां चला रही थी। जबकि भारतीय सेना नीचे थी। इसलिए 26 मई को भारतीय वायुसेना को एक्शन लेने का निर्देश दिया गया।
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इस जंग में भारत की तरफ से ढाई लाख गोले दागे गए।
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लगभग तीन महीने के संघर्ष के बाद आखिरकार 26 जुलाई को भारतीय सेना के कब्जे में करगिल की पहाड़ियां आईं।
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