World Oceans Day: जानिए दुनिया के सबसे प्रदूषित समुद्र

First Published Jun 8, 2019, 12:09 PM IST

आम तौर पर हम सभी पर्यावरण से जुड़े महत्वपूर्ण दिनों में बड़ी-बड़ी बाते करते हैं। पर्यावरण को बचाने के लिए सोशल मीडिया पर भी विचार शेयर करते हैं। लेकिन वास्तविकता बहुत ही भयानक है। हम लोगों के लिए सिर्फ हमारा आज मायने रखता है, जिस में जीवन की होड़ में हम हमारी भविष्य की जिम्मेदारियों को भूल जाते हैं। हमने आज में जीने के लिए सुख-सुविधाओं को जमा करते हुए पर्यावरण को इतना प्रदूषित कर दिया है कि हमारे आने वाले कल कि मुश्किलें हमारी सोच से भी परे होंगी। उदाहरण के लिए हमारे समुद्र जो आज कूड़े का ढेर बनते जा रहे हैं। जिसका कारण हम सब हैं।  जिस समुद्र पर हम सबसे ज़्यादा निर्भर करते हैं उसी को हमने सबसे ज़्यादा प्रदूषित कर दिया है।   आइये जानते हैं दुनिया के 5 सबसे प्रदूषित समुद्र-

अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean)- यहाँ का मृत सागर दुनिया का सबसे बड़ा मृत ज़ोन है। जिसका अर्थ होता है झील, तालाब और सागर का वो हिस्सा जहां मानवीय गतिविधियों के कारण अत्यधिक प्रदूषण की वजह से ऑक्सीजन की मात्रा बेहद ही कम हो जाती है जिसे हाइपोक्सिक कहते हैं, इसकी वजह से यहां किसी भी जीव जंतु के लिए जीवित रहने की संभावनाएं कम हो जाती हैं। हाइपोक्सिया भारी संख्या में मछलियों को मार देता है। यहां के प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण नाइट्रोजन और फॉस्फोरस है जो अत्यधिक फ़र्टिलाइज़र के इस्तेमाल से पैदा होता है।
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प्रशांत महासागर (Pacific Ocean)- यहाँ सबसे ज़्यादा प्रदूषण होने का कारण है समुद्री लहरों से लाया हुआ मलबा जो आस पास के समुद्रों से बहता हुआ प्रशांत महासागर में जमा हो जाता है। यहाँ के प्रदूषण में सबसे ज़्यादा प्लास्टिक और केमिकल वेस्ट होता है। यहां पर जहाजों से निकला हुआ तेल और कई अन्य प्रकार का कूड़ा भारी मात्रा में पाया जाता है।
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हिंद महासागर (Indian Ocean)- यह दुनिया के महासागरों में प्लास्टिक कचरे का तीसरा बड़ा संग्रह है। 2010 में यहाँ सबसे बड़ा कूड़े का ढेर पाया गया था जिसमें सबसे ज़्यादा प्लास्टिक मलबा और रासायनिक कीचड़ पाया गया। हिंद महासागर प्रयोग (INDOEX) के अनुसार, हिंद महासागर प्लास्टिक के मलबे और रासायनिक तत्वों से प्रदूषित होता है, जिसके परिणामस्वरूप यहाँ पर हाइपोक्सिया होता है।
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भूमध्य सागर (Mediterranean )- यह शायद दुनिया का सबसे प्रदूषित महासागर है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम(UNEP) ने अनुमान लगाया है कि 650,000,000 टन सीवेज, 129,000 टन खनिज तेल, 60,000 टन पारा, 3,800 टन सीसा और 36,000 टन फॉस्फेट हर साल भूमध्य सागर में फेंक दिए जाते हैं। भारी मात्रा में प्रदूषण के कारण यहां कई समुद्री प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा बना हुआ है।
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बाल्टिक समुद्र (Baltic Sea)- मध्य और पूर्वी यूरोप के बीच स्थित बाल्टिक सागर के लिए ओवरफिशिंग, समुद्री जहाजों का तेल और शहरों से निकला हुआ कूड़ा प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत हैं। बाल्टिक समुद्र में बढ़ते हुए हाइपोक्सिया यहां की मछलियों की प्रजातियों के लिए खतरा बना हुआ है।
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