सरकारी स्कीम्स: RBI ने CIBIL Score को लेकर बनाए 5 नए रूल, लोन लेने से पहले तुरंत चेक करें अपडेट

First Published | Jul 8, 2024, 4:58 PM IST

CIBIL Score Rues: रिजर्व बैंक को क्रेडिट स्कोर को लेकर काफी कंप्लेन मिल रही थीं। इसी के चलते कुछ महीने पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से CIBIL स्कोर को लेकर बड़ा अपडेट जारी किया गया है।

सिबिल स्कोर को लेकर RBI ने जारी किए हैं ये 5 रूल्स

CIBIL Score Rues: रिजर्व बैंक को क्रेडिट स्कोर को लेकर काफी कंप्लेन मिल रही थीं। इसी के चलते कुछ महीने पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से CIBIL स्कोर को लेकर बड़ा अपडेट जारी किया गया है। जिसमें नियमों को सख्त बनाया गया है। नए नियम अप्रैल 2024 से लागू हो चुके हैं। इसके तहत रिजर्व बैंक ने कुल 5 रूल्स बनाए और लागू किए है, आइए जानते हैं इनके बारे में कि क्या हैं ये रूल?

1: कस्टमर को भेजनी होगी CIBIL चेक करने की इंफारमेशन

सेंट्रल बैंक ने सभी क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियों से कहा है कि जब भी कोई बैंक या NBFC किसी कस्टमर की क्रेडिट रिपोर्ट चेक करता है तो उस कस्टमर को जानकारी भेजना जरूरी है। यह जानकारी SMS या ईमेल के जरिए भेजी जा सकती है। दरअसल क्रेडिट स्कोर को लेकर कई कंप्लेन सामने आ रही थीं, जिसके चलते RBI ने यह फैसला लिया है।

2: रिक्वेस्ट कैंसिल करने का कारण बताना जरूरी

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार अगर किसी कस्टमर की रिक्वेस्ट कैंसिल की जाती है, तो उसे इसका कारण बताना जरूरी है। इससे कस्टमर को यह समझने में आसानी होगी कि उसकी रिक्वेस्ट क्यों कैंसिल किया गया है। रिक्वेस्ट कैंसिल करने के कारणों की एक लिस्ट बनाना और उसे सभी क्रेडिट इंस्टीट्यूसंस को भेजना जरूरी है।
 

3: साल में एक बार ग्राहकों को मुफ्त में पूरी क्रेडिट रिपोर्ट दें

RBI के अनुसार क्रेडिट कंपनियों को अपने कस्टमर्स को साल में एक बार फ्री में पूरा क्रेडिट स्कोर उपलब्ध कराना चाहिए। इसके लिए क्रेडिट कंपनी को अपनी वेबसाइट पर एक लिंक प्रदर्शित करना होगा, जिससे कस्टमर्स आसानी से अपनी फ्री में पूरी क्रेडिट रिपोर्ट देख सकें। इससे कस्टमर्स को साल में एक बार अपना सिबिल स्कोर और पूरी क्रेडिट हिस्ट्री पता चल जाएगी।

4: डिफॉल्ट की रिपोर्ट करने से पहले कस्टमर को सूचित करना जरूरी

RBI के अनुसार यदि कोई कस्टमर डिफॉल्ट करने वाला है, तो डिफॉल्ट रिपोर्ट करने से पहले कस्टमर को सूचित करना जरूरी है। लोन देने वाली संस्थाओं को SMS/ई-मेल भेजकर सारी जानकारी शेयर करनी चाहिए। इसके अलावा बैंकों और लोन देने वाली संस्थाओं को एक नोडल ऑफिसर नियुक्त करना चाहिए। नोडल ऑफिसर क्रेडिट स्कोर से जुड़ी प्राब्लम्स को सुलझाने का काम करेंगे।

5: कंप्लेन का 30 दिन के अंदर होना चाहिए सेल्यूशन

अगर क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी 30 दिन के अंदर कस्टमर की कंप्लेन का सेल्यूशन नहीं करती है तो उसे 100 रुपये परडे के हिसाब से पेनॉल्टी देनी होगी। लोन देने वाली संस्था को 21 दिन और क्रेडिट ब्यूरो को 9 दिन का टाइम मिलेगा। अगर बैंक 21 दिन के अंदर क्रेडिट ब्यूरो को सूचना नहीं देता है तो बैंक को पेनॉल्टी देनी होगी। यदि 9 दिन बाद भी कंप्लेन का समाधान नहीं होता है तो क्रेडिट ब्यूरो को पेनॉल्टी देनी होगी। 

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