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UP में पास हुआ 'लव जिहाद' कानून, जानें क्या हैं इसके प्रमुख प्रीविजंस और विवाद

Surya Prakash Tripathi |  
Published : Jul 30, 2024, 05:20 PM IST

उत्तर प्रदेश सरकार ने विधानसभा में 'लव जिहाद' कानून पारित किया है, जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन के मामलों में कठोर सजा का प्रावधान है। जानें इसके प्रमुख प्रावधान, विवाद और इसके खिलाफ उठी आवाज़ें।

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UP में पास हुआ 'लव जिहाद' कानून, जानें क्या हैं इसके प्रमुख प्रीविजंस और विवाद
अब लव जेहाद के तहत होगी आजीवन कारावास

Love Jihad Law: योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली UP सरकार ने विधानसभा में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 पास करा लिया है, जिसमें 'लव जिहाद' के मामलों में कठोर सजा और आजीवन कारावास का प्रस्ताव है। प्रस्तावित संशोधनों का भाजपा ने सही दिशा में उठाया गया कदम बताते हुए स्वागत किया है, जबकि समाजवादी पार्टी ने इसे समाज में 'शत्रुता' पैदा करने वाला 'विभाजनकारी' कदम बताया है। आईए जानते हैं कि क्या है लव जिहाद और लव जिहाद कानून और इसकी जरूरत क्यो पड़ी?

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क्या है लव जिहाद?

लव जिहाद' एक अनौपचारिक शब्द है जिसका इस्तेमाल कट्टरपंथी हिंदू समूहों द्वारा मुस्लिम पुरुषों द्वारा हिंदू लड़कियों को प्यार के नाम पर धर्मांतरित करने के कथित अभियान को रेफरेंस करने के लिए किया जाता है।

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'लव जिहाद' कानून क्या है?

UP विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम 2020' (अवैध धार्मांतरण पर रोक), जिसे 'लव जिहाद' कानून के रूप में जाना जाता है। अन्य बातों के अलावा यह भी कहता है कि अगर किसी शादी का "एकमात्र उद्देश्य" "लड़की का धर्म परिवर्तन" करना है तो उसे अमान्य घोषित कर दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश कैबिनेट द्वारा स्वीकृत कानून में तीन अलग-अलग मदों के तहत सजा और पेनॉल्टी को डिफाईंड किया गया है। वर्तमान में तीन अन्य भाजपा शासित राज्य - मध्य प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक भी शादी के माध्यम से "जबरन धर्मांतरण" को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों पर विचार कर रहे हैं।

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लव जिहाद कानून की 5 मुख्य विशेषताएं क्या हैं?

1. लड़की का धर्म परिवर्तन करने के उद्देश्य से की गई शादी को अमान्य घोषित किया जाएगा, जिसके लिए 10 साल तक की जेल की सज़ा हो सकती है।
2. जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 1-5 साल की जेल और 15,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
3. अगर महिला नाबालिग है या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित है, तो सजा 3 से 10 साल के बीच होगी और जुर्माना 25,000 रुपये तक होगा।
4. सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने पर 3-10 साल की जेल और इसे संचालित करने वाले संगठनों पर 50,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।
5. अगर कोई शादी के बाद अपना धर्म बदलना चाहता है, तो उसे दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट के पास आवेदन देना होगा।

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'लव जिहाद' कानून के खिलाफ आशंकाएं

दो अलग-अलग समुदायों के नॉन रिलीजन वाली शादियों में यह देखना कि ये सिर्फ धर्म परिवर्तन के लिए किया गया है, गलत होगा। इस तरह से कानूनी दांव पेंच में लोगों को फंसने का डर सता रहा है। एक खास तबके के लोगों को इस बात का डर है कि लव जिहाद कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है। मिश्रित शादियों को बाधित करने और अंतरधार्मिक जोड़ों को परेशान करने और डराने के लिए "लव जिहाद" के बहाने का इस्तेमाल किया है, भले ही राज्य एजेंसियों द्वारा की गई जांच में ऐसे सिद्धांतों का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला हो। इस आंदोलन को कुछ लोगों द्वारा विवाह में महिलाओं की पसंद के प्रति पितृसत्तात्मक एप्रोच और सो काल्ड हिंदू नेशनलिज्म के लिए महिलाओं के अधिकारों का इस्तेमाल करने के कारण नारीवाद विरोधी भी कहा गया है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लव जिहाद कानून पास होने से पहले क्या कहा था?

लव जिहाद कानून पारित होने से कुछ दिन पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहने का अधिकार, चाहे वे किसी भी धर्म को मानते हों, जीवन और पर्सनल स्वतंत्रता के अधिकार का अभिन्न अंग है, जबकि एक मुस्लिम व्यक्ति के खिलाफ उसकी हिंदू पत्नी के माता-पिता द्वारा दायर मामले में पहले के फैसले को पलट दिया। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह एक अंतरधार्मिक विवाह को रद्द करने के आदेश को रद्द कर दिया। इस बीच उत्तर प्रदेश में एक विशेष पुलिस दल जिसे विशेष रूप से "लव जिहाद" की जांच के लिए नियुक्त किया गया था, ने कहा कि उसे किसी साजिश का कोई सबूत नहीं मिला।

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UP में नए कानून के तहत लोग कैसे धर्म परिवर्तन कर सकते हैं?

नए कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को दूसरे धर्म में धर्म परिवर्तन करने के लिए कम से कम दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को लिखित में देना होगा। सरकार आवेदन के लिए एक प्रारूप तैयार करेगी और व्यक्तियों को उस प्रारूप में धर्म परिवर्तन के लिए आवेदन भरना होगा। हालांकि, नए कानून के तहत धर्म परिवर्तन कराने वाले व्यक्ति की यह जिम्मेदारी होगी कि वह यह साबित करे कि यह जबरन या किसी धोखाधड़ी के माध्यम से नहीं हो रहा है। यदि इस प्रावधान के तहत कोई उल्लंघन पाया जाता है, तो व्यक्ति को 6 महीने से 3 साल तक की जेल की सजा और कम से कम 10,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।

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यह अन्य धर्मांतरण विरोधी कानूनों से किस तरह अलग है?

हालांकि भारत में 1967 से ही धर्मांतरण विरोधी कानून हैं, लेकिन उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश विवाह के संबंध में एक खंड पेश करने वाले पहले राज्य थे। उत्तराखंड का धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2018 गलत बयानी, बल, धोखाधड़ी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या विवाह द्वारा धर्मांतरण को प्रतिबंधित करता है। इसकी सज़ा एक से पांच साल की जेल और जुर्माने तक है, जो इसे गैर-ज़मानती अपराध बनाता है। हिमाचल प्रदेश ने भी 2019 में इसी तरह का एक कानून पारित किया था।

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