Vat Savitri Vrat 2024-वट सावित्री व्रत के दिन पीरियड शुरू हो गया- पूजा होगी या नही? जानते हैं नियम

By Kavish AzizFirst Published Jun 5, 2024, 9:39 PM IST
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पतिव्रता महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत ( Vat Savitri Vrat ) बहुत महत्वपूर्ण होता है। महिलाएं इस व्रत की तैयारी बिल्कुल करवा चौथ की तरह करती हैं क्योंकि इसमें भी पति की लंबी आयु के लिए पूजा और व्रत रहा जाता है, लेकिन अगर व्रत के दिन मासिक धर्म शुरू हो जाए तो क्या पूजा की जा सकती 

लखनऊ। वट सावित्री पूजा को लेकर हिंदू महिलाएं कई दिन से तैयारी कर रही है। इसमें सुहागन महिलाएं व्रत रहती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इस पूजा में पति की लंबी आयु के लिए कामना किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने शुरू किया था और तब से लेकर आज तक सुहागन महिलाएं यह व्रत करती चली आ रही है । महिलाएं कई दिन पहले से सावित्री वट पूजा की तैयारी करती हैं । अब सारी तैयारी के बाद कई बार ऐसा होता है कि महिलाओं को व्रत के दिन या व्रत से एक दिन पहले पीरियड (Periods during Vat Savitri Vrat) शुरू हो जाते हैं जिसे लेकर तमाम तरह के मिथ्स हैं की पीरियड में पूजा होगी या नहीं होगी,बरगद के पेड़ को छुआ जा सकता है या नहीं।

 

पीरियड में पूजा को लेकर हैं कई मिथ्स 

आमतौर पर हमेशा से यही होता आया है की कोई भी धार्मिक त्योहार जिसमें पूजा पाठ की जाती है उसमें मासिक धर्म के दौरान महिलाएं पूजा या किसी भी धार्मिक कार्य में शामिल नहीं की जाती हैं। माना जाता है कि पीरियड्स के दौरान महिलाएं अपवित्र होती हैं। इस दौरान ना तो वह पूजा का कोई सामान छू सकती हैं ना ही कोई धार्मिक ग्रंथ को हाथ लगा सकती हैं।

पीरियड्स को लेकर जानना ज़रूरी है कुछ नियम

वट सावित्री व्रत साल में एक बार आता है इसलिए महिलाएं इस दिन करवा चौथ की तरह तैयारी करती हैं। भिन्न-भिन्न प्रकार के पकवान के साथ-साथ श्रृंगार से जुड़ी तमाम सामग्रियां पहनने के लिए कपड़े की शॉपिंग हफ्ते पहले से शुरू हो जाती है। अब ऐसे में अगर पीरियड शुरू हो जाता है तो सारी तैयारी फीकी हो जाती है लेकिन मायूस होने की जरूरत नहीं है क्योंकि पीरियड होना प्राकृतिक क्रिया है। ऐसे में महिलाएं वट सावित्री पर व्रत रख सकती हैं, व्रत के दौरान अगर पीरियड (Periods During Fast) शुरू हो जाए तो व्रत तोड़ने की जरूरत नहीं है बल्कि कुछ खास बातों का ध्यान रखना होता है।  जैसे की पूजा की किसी भी सामग्री को हाथ नहीं लगाना है। भगवान की मूर्ति को नहीं छूना है । पूजा की जगह से दूर बैठकर वट सावित्री की कथा भी सुन सकती हैं और पति के पैर भी धो सकती हैं, तिलक लगा सकती हैं ।अगर आप व्रत हैं और घर में कोई और महिला है तो आप उससे कह कर पूजा करवा सकती हैं इस दौरान आप वहां बैठकर पूजा की पूरी विधि देख सकती हैं। 

कोई भी पूजा हो या व्रत मासिक धर्म शुरू होने पर महिलाओं का उत्साह कम हो जाता है। इसलिए अगर व्रत रहकर आपका मन नहीं भरता तो पीरियड्स के दौरान मित्रों का जाप कीजिए और मन ही मन भगवान को याद करती रहिए क्योंकि आस्था अध्यात्म और मानसिक रूप से होती है इसलिए मस्तिष्क का संतुष्ट रहना बहुत जरूरी है।

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