ईद-ए-मिलाद 2024: जानें पैगंबर मुहम्मद के जीवन और इस्लाम में इस दिन का महत्व

By Surya Prakash TripathiFirst Published Sep 14, 2024, 9:59 AM IST
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ईद-ए-मिलाद-उन-नबी इस्लाम में पैगंबर मुहम्मद के जन्म और निधन की याद में मनाया जाता है। जानें इस त्यौहार की तिथि, महत्व और इतिहास के बारे में।

Eid-e-Milad 2024: ईद-ए-मिलाद-उन-नबी, जिसे ईद-ए-मिलाद के नाम से भी जाना जाता है, इस्लाम में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह पैगंबर मुहम्मद के जन्म और मृत्यु की याद में मनाया जाता है। यह दिन इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने, रबी अल-अव्वल के दौरान मनाया जाता है और प्रार्थना, सभा और अन्य धार्मिक प्रथाओं के साथ मनाया जाता है।

कब मनाया जाएगा ईद-ए-मिलाद?
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष ईद-ए-मिलाद 15 सितंबर की शाम से 16 सितंबर की शाम तक मनाया जाएगा।

क्या है इस दिन का  एतिहासिक महत्व?
यह दिन पैगंबर मुहम्मद के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्हें अल्लाह का अंतिम दूत माना जाता है। कुरान में निहित उनकी शिक्षाएं मुसलमानों के दैनिक जीवन का मार्गदर्शन करती रहती हैं।

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी को कौन कब मनाता है?
सुन्नी विद्वानों का मानना ​​है कि पैगंबर मुहम्मद का जन्म 570 ई. के आसपास मक्का में, रबी अल-अव्वल के 12वें दिन हुआ था। दूसरी ओर शिया विद्वान उनके जन्म को महीने के 17वें दिन मानते हैं। यह दिन उनके जन्म के उत्सव और उनके निधन के शोक दोनों के साथ मनाया जाता है, जो 632 ई. में हुआ था। ईद-ए-मिलाद का पहला पालन पैगंबर की मृत्यु के लगभग 600 साल बाद हुआ था, मुख्य रूप से मिस्र में फ़ातिमी राजवंश के दौरान। लोगों का मानना ​​है कि यह परंपरा सीरिया या इराक में शुरू हुई होगी।

कहां नहीं मनाया जाता ईद-ए-मिलाद?
ईद-ए-मिलाद का पालन चिंतन, प्रार्थना और सभाओं का समय है। दुनिया भर के मुसलमान प्रार्थना करते हुए आभार व्यक्त करने के लिए एक साथ आते हैं। इस दिन, कुछ लोग नए कपड़े पहनते हैं, दावतें तैयार करते हैं और दरगाहों और मस्जिदों में जाते हैं। हालांकि, कुछ इस्लामी परंपराएं जैसे वहाबीवाद, देवबंदवाद और अहल-ए-हदीस, ईद-ए-मिलाद को एक धार्मिक इनोवेशन मानते हैं। सऊदी अरब और कतर जैसे देश इस दिन को नहीं मनाते हैं।


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