30 की उम्र में कोलेस्ट्रॉल का सही लेवल जानना बेहद जरूरी है। जानें कि सेहतमंद और खतरनाक कोलेस्ट्रॉल का स्तर क्या होता है?
नई दिल्ली। 30 की उम्र में सेहत का ख्याल रखना बेहद ज़रूरी है, और कोलेस्ट्रॉल का लेवल जांचना इस उम्र में जरूरी भी है। कोलेस्ट्रॉल एक प्रकार का फैट है जो शरीर के लिए आवश्यक होता है, लेकिन इसका असंतुलित स्तर दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है।
कोलेस्ट्रॉल क्या है और यह शरीर में क्यों जरूरी है?
कोलेस्ट्रॉल शरीर की हर कोशिका में पाया जाने वाला एक प्रकार का फैट है। यह हॉर्मोन, विटामिन डी और पाचन में सहायक पित्त का निर्माण करने में मदद करता है। सही मात्रा में कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन इसका स्तर बढ़ने पर यह जानलेवा हो सकता है, विशेषकर हार्ट अटैक और स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
कितने तरह के कोलेस्ट्रॉल?
शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं। पहला, गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL-High-Density Lipoprotein), इसे अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है, क्योंकि यह बैड कोलेस्ट्रॉल को रक्त प्रवाह से हटाने में मदद करता है और दिल को स्वस्थ बनाए रखता है। दूसरा, बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL-Low-Density Lipoprotein), यह खतरनाक होता है और रक्त प्रवाह में जमाव बना सकता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
30 की उम्र में कितना होना चाहिए कोलेस्ट्रॉल?
क्लीवलैंड क्लीनिक के अनुसार, 20 या उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए कुल कोलेस्ट्रॉल का सामान्य स्तर 200 mg/dL से कम होना चाहिए। ट्राइग्लिसराइड्स: 150 mg/dL से कम, बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL): 100 mg/dL से कम, गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL): पुरुषों में 40 mg/dL से ऊपर और महिलाओं में 50 mg/dL से ऊपर होना चाहिए।
खतरनाक कोलेस्ट्रॉल लेवल क्या है?
यदि कोलेस्ट्रॉल का लेवल ज्यादा रहता है तो रक्त प्रवाह में रुकावट आ सकती है और दिल की बीमारियों का रिस्क बढ़ सकता है।
गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL): 40 mg/dL से कम
बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL): 160 mg/dL से अधिक
कुल कोलेस्ट्रॉल: 240 mg/dL से अधिक
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के संकेत क्या?
कोलेस्ट्रॉल के बढ़े हुए स्तर को अक्सर "साइलेंट किलर" कहा जाता है, क्योंकि यह बिना किसी विशेष लक्षण के अचानक दिक्कतें पैदा कर सकता है। इसमें बिना मेहनत के ही थकान महसूस होना, आँखों के पास पीले रंग की फैटी डिपॉज़िट्स का जमाव, हाथ-पैर का सुन्न हो जाना, सीने में दर्द और बेचैनी और जी मिचलाना या उल्टी महसूस होना शामिल है।
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