क्या स्मार्टफोन से बढ़ जाता है ब्रेन कैंसर का खतरा? जानें सच्चाई और बचने के उपाय

Surya Prakash Tripathi |  
Published : Sep 01, 2024, 03:30 PM ISTUpdated : Sep 01, 2024, 03:32 PM IST
क्या स्मार्टफोन से बढ़ जाता है ब्रेन कैंसर का खतरा? जानें सच्चाई और बचने के उपाय

सार

जानें कि मोबाइल फ़ोन का अधिक उपयोग आपके स्वास्थ्य पर कैसे असर डाल सकता है, कैंसर के रिस्क से जुड़े अध्ययन क्या कहते हैं और सुरक्षित फ़ोन उपयोग के लिए आवश्यक टिप्स।

नई दिल्ली। आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुके हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक, हर कोई अपने फोन से चिपका रहता है, जो हमारी दिनचर्या का अभिन्न अंग बन गया है। हालांकि, इस अत्यधिक उपयोग ने हेल्थ एक्सपर्ट को चिंता में डाल दिया है, जो बार-बार मोबाइल फोन के दुष्प्रभावों के बारे में चेतावनी जारी करते हैं।

स्वास्थ्य पर मोबाइल के क्या हैं साइडइफेक्ट?
मोबाइल फोन का अत्यधिक यूज तनाव और चिंता जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है। यह बच्चों में लत लगाने के साथ-साथ आंखों और मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

ब्रेन कैंसर और मोबाइल फोन का क्या है संबंध?
कई अध्ययनों ने इस बात की जांच की है कि क्या मोबाइल फोन ब्रेन कैंसर का कारण बन सकते हैं। कैंसर पर रिसर्च के लिए इंटरनेशनल एजेंसी के अनुसार मोबाइल फोन से निकलने वाला रेडियोफ़्रीक्वेंसी रेडिएशन (RFE) संभावित रूप से कैंसर पैदा कर सकता है, लेकिन अभी इस पर और रिसर्च की जरूरत है। हालांकि अब तक के शोध में यह निष्कर्ष निकला है कि मोबाइल फोन यूजर्स को ब्रेन कैंसर का ज्यादा रिस्क नहीं होता, खासकर जब बात कम से मध्यम अवधि के यूज की हो।

मोबाइल रेडिएशन का क्या होता है प्रभाव?
मोबाइल फोन RFE का यूज करते हैं, जो DNA को नुकसान पहुंचाने या कैंसर पैदा करने वाले म्यूटेशन को बढ़ावा देने के लिए नहीं जाना जाता। हालांकि, यह संभावना जताई गई है कि RFE कैंसर के डेवलपमेंट रेट को बढ़ा सकता है, खासकर जब फोन को सिर के पास रखा जाए।

रिसर्च के रिजल्ट क्यों स्पष्ट नहीं हैं?
WebMD के अनुसार ब्रेन कैंसर और मोबाइल फोन के बीच संबंध को स्पष्ट रूप से साबित करना मुश्किल है, क्योंकि कई अध्ययनों में कुछ अंतर्निहित कमजोरियां हैं। इन कमजोरियों को 5 भागों में बांटा जा सकता है। जैसे कि:

  • 1. जानवरों या सेल्स में किए गए अध्ययनों के रिजल्ट सीधे मनुष्यों पर लागू नहीं हो सकते।
  • 2. लोग रेगुलर इतने लंबे समय तक स्मार्टफोन यूज नहीं कर रहे होंगे कि यह पता चल सके कि वे कैंसर से जुड़े हैं या नहीं।
  • 3. मोबाइल फोन यूज के अलावा अन्य आदतें कैंसर की दरों को प्रभावित कर सकती हैं, जिनका अध्ययन नहीं किया गया।
  • 4. सेल फोन की तकनीक समय-समय पर बदलती रहती है, जिससे अध्ययन के रिजल्ट प्रभावित हो सकते हैं।
  • 5. अधिकांश अध्ययन वयस्कों पर किए गए हैं, जिससे बच्चों पर इसके प्रभाव का निष्कर्ष निकालना कठिन हो जाता है।

मोबाइल फोन का सुरक्षित यूज कैसे करें?
यदि आपको चिंता है कि आपका फोन कैंसर के रिस्क को बढ़ा सकता है, तो इसे सुरक्षित रूप से इस्तेमाल करने के लिए फॉलों करें ये 6 स्टेप।

  • 1. फोन पर अपना टाइम लिमिटेड रखें।
  • 2. फोन को सिर के पास रखने के बजाय स्पीकर, हेडसेट या हैंड्स-फ़्री डिवाइस यूज करें।
  • 3. कॉल करने के बजाय टेक्स्ट या व्हाट्सएप करें।
  • 4. हमेशा कम SAR (Specific Absorption Rate) वाला मोबाइल फोन खरीदें, जिससे कम रेडिएशन निकलता हो।
  • 5. सोते समय अपने फोन को शरीर से दूर रखें।
  • 6. जब आप इसका यूज नहीं कर रहे हों तो ब्लूटूथ, सेलुलर डेटा और वाई-फ़ाई बंद कर दें।


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